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म [२-प्र. २ ] भगवन् ! असुरकुमार कितने समय में श्वास लेते हैं और कितने समय में निःश्वास छोड़ते हैं ?
[उ. ] गौतम ! जघन्य सात स्तोकरूप काल में और उत्कृष्ट एक पक्ष (पखवाड़े) से (कुछ) अधिक समय में श्वास लेते और छोड़ते हैं।
[2—Q. 2) Bhante ! What is the duration of inhalation, exhalation, breathing in and breathing out of the Asur Kumars? 卐 [Ans.] Gautam ! They inhale and exhale in a minimum period of seven Stok and a maximum period of slightly more than one fortnight.
विशेष : रोगरहित, स्वस्थ, हृष्टपुष्ट प्राणी के एक श्वासोच्छ्वास (उच्छ्वास-निःश्वास) को एक प्राण कहते ॥ म हैं। सात प्राणों का एक स्तोक होता है, सात स्तोकों का एक लव और ७७ लवों का एक मुहूर्त होता है।
Note: The duration of one inhalation and exhalation of a normal and healthy person is called Pran (a unit of time). Seven Prans make a Stok; 46 seven Stoks make a Lava and 77 Lavas make a Muhurt (forty eight minutes).
[ २-प्र. ३ ] असुरकुमाराणं भंते ! आहारट्ठी ? [उ. ] हंता आहारट्ठी। [ २-प्र. ३ ] भगवन् ! क्या असुरकुमार आहार की इच्छा करते हैं ? [उ. ] हाँ, गौतम ! (वे) आहार की इच्छा रखते हैं। [2-Q.3] Bhante ! Have the Asur Kumars desire for food (intake)? । (Ans.] Yes, Gautam ! They have the desire for food (intake).
[२-प्र. ४ ] असुरकुमाराणं भंते ! केवइकालस्स आहारट्टे समुप्पज्जइ ? । [उ. ] गोयमा ! असुरकुमाराणं दुविहे आहारे पण्णत्ते। तं जहा-आभोगनिव्वत्तिए य, अणाभोगनिव्वत्तिए य। तत्थ णं जे से अणाभोगनिव्वत्तिए से अणुसमयं अविरहिए आहारटे समुप्पज्जइ। तत्थ णं जे से आभोगनिव्वत्तिए से जहन्नेणं चउत्थभत्तस्स, उक्कोसेणं साइरेगस्स वाससहस्सस्स आहारट्ठे समुप्पज्जइ।
[२-प्र. ४ ] भगवन् ! असुरकुमारों को कितने काल में आहार की इच्छा होती है? । [उ.] गौतम ! असुरकुमारों का आहार दो प्रकार का होता है-आभोगनिवर्तित और अनाभोगनिर्वर्तित। जो अनाभोगनिवर्तित आहार है, वह प्रतिसमय (सतत) होता रहता है। (किन्तु) आभोगनिर्वर्तित आहार की इच्छा जघन्य चतुर्थभक्त अर्थात्-एक अहोरात्र से और उत्कृष्ट एक हजार वर्ष से कुछ अधिक काल में होती है।
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...मागगनगनाना
प्रथम शतक : प्रथम उद्देशक
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First Shatak: First Lesson
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