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क आहार-शब्द यहाँ ग्रहण करने और उपभोग करने (खाने) दोनों अर्थों में प्रयुक्त है।
पुद्गलों का चय-उपचय-शरीर का आहार से पुष्ट होना चय और विशेष पुष्ट होना उपचय है। ये आहारद्रव्यवर्गणा की अपेक्षा जानना चाहिए। अपवर्तन-अध्यवसाय विशेष के द्वारा कर्म की स्थिति एवं कर्म के रस को कम कर देना। अपवर्तनाकरण से कर्म की स्थिति आदि कम की जाती है, उद्वर्तनाकरण से अधिक। संक्रमण-अध्यवसाय विशेष से कर्म की उत्तरप्रकृतियों का एक-दूसरे के रूप में बदल जाना। यह संक्रमण (परिवर्तन) मूलप्रकृतियों में नहीं होता। उत्तरप्रकृतियों में भी आयुकर्म की उत्तरप्रकृतियों में नहीं होता तथा ॥ दर्शनमोह और चारित्रमोह में भी एक-दूसरे के रूप में संक्रमण नहीं होता। निधत्त करना-भिन्न-भिन्न म कर्म-पुद्गलों को एकत्रित करके धारण करना। निधत्त अवस्था में उद्वर्तना और अपवर्तना, इन दो करणों से है ही निधत्त कर्मों में परिवर्तन किया जा सकता है। अन्य संक्रमणादि के द्वारा नहीं। निकाचित करना-निधत्त किये गये कर्मों का ऐसा सुदृढ़ हो जाना कि जिससे वे एक-दूसरे से पृथक् न हो सकें, जिनमें कोई भी कारण कुछ भी फ़ परिवर्तन न कर सके। अर्थात्-कर्म जिस रूप में बाँधे हैं, उसी रूप में भोगने पड़ें, वे निकाचित कर्म कहलाते हैं। चलित-अचलित-जीव के प्रदेश से जो कर्म चलायमान हो गये हैं, उन्हें 'चलित' कर्म कहते हैं। इसके विपरीत अचलित कर्म है। जीव अचलित कर्म ही बाँधता है। (वृत्ति. २४-२५) TECHNICAL TERMS
Sthiti—the time duration of bondage of the life-span determining karma particles. Anaman-pranaman and Uchchhavas-nihshvasrespiration is of two kinds-internal and external. Internal respiration
includes anaman (intake) and pranaman (expelling). External. fi respiration includes uchchhavas (inhalation) and nihshvas (exhalation).
According to Prajanapana Sutra the infernal beings inhale and exhale in rapid continuation. This is because they are always in extreme misery and a miserable being breathes rapidly.
Ahaar of infernal beings—According to Prajnapana Sutra an infernal being has desire for ahaar (intake of food). There intake is of two
kinds-aabhog nirvartit (voluntary intake) and anaabhog nirvartit ; (involuntary intake). The involuntary intake continues every moment
but the voluntary intake is after a minimum gap of Antar-muhurt (less than 48 minutes). (Besides this the intake by infernal beings has been si discussed in other contexts including matter, area, period, state, direction and time.) ___ Parinat, chit, upachit etc. as the context is intake here, the meaning of parinat is transformation of food into a form absorbable by the body. The meaning of chaya (chit) is nutritional assimilation of the so transformed food in the body. Upachaya (upachit) means to augment the so assimilated food with other matter particles.
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गाना
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| प्रथम शतक : प्रथम उद्देशक
(21)
First Shatak: First Lesson
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