________________
लेश्याओं का परिणमन TRANSFORMATION OF LESHYA
१. से नूणं भंते ! कण्हलेस्सा नीललेस्सं पप्प तारूवत्ताए तावण्णत्ताए ? एवं चउत्थो उद्देसओ पण्णवणाए चेव लेस्सापदे नेयव्वो जाव
चतुर्थ शतक : दमम उद्देशक
FOURTH SHATAK (Chapter Four): TENTH LESSON लेश्या LESHYA (SOUL COMPLEXION)
परिणाम - वण्ण-रस-गंध-सुद्ध - अपसत्थ- संकिलिट्टुण्हागति - परिणाम - पदेसोगाह-वग्गणा - ठाणमप्पबहुं ॥१ ॥ सेवं भंते ! सेवं भंते ! त्ति ।
॥ चउत्थे सए : दसमो उद्देसो समत्तो ॥ ॥ चउत्थं सयं समत्तं ॥
॥ भगवई सुइयं : पढमं भागं समत्तं ॥
१. [ प्र. ] भगवन् ! क्या कृष्णलेश्या नीललेश्या का संयोग पाकर तद्रूप और तवर्ण में परिणत हो जाती है ?
[उ. ] ( हे गौतम !) प्रज्ञापनासूत्र में उक्त लेश्यापद का चतुर्थ उद्देशक परिणाम इत्यादि द्वार-गाथा तक यहाँ कहना चाहिए। गाथा का अर्थ इस प्रकार है
परिणाम, वर्ण, रस, गन्ध, शुद्ध, अप्रशस्त, संक्लिष्ट, उष्ण, गति, परिणाम, प्रदेश, अवगाहना, वर्गणा, स्थान और अल्पबहुत्व; (ये सब बातें लेश्याओं के सम्बन्ध में कहनी चाहिए।)
फ्र
'हे भगवन् ! यह इसी प्रकार है, भगवन् ! यह इसी प्रकार है', (यों कहकर गौतम स्वामी यावत् विचरण करते हैं ।)
1. [Q.] Bhante ! Does Krishna (black) leshya (soul-complexion) get converted into the form and colour of Neel (blue) leshya on coming in its contact ?
भगवतीसूत्र (१)
[Ans.] Gautam ! Here the fourth lesson of chapter on Leshya from Prajnapana Sutra should be stated till verse on Parinam etc. (outcome). The meaning of the verse is as follows
(These matters about leshyas should be stated-) Parinam (outcome or result), varna (appearance or colour), rasa (taste), gandh ( smell), shuddha (purity), aprashast (ignoble or unwholesomeness), sanklisht (grief or
Jain Education International
(528)
555555 5 5 5 5 5 5 5 5 5 5 5 5 5555 5 5 5 5 5 55 5 55 55!
For Private & Personal Use Only
Bhagavati Sutra (1)
www.jainelibrary.org