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५. जोतिसियाणं देवाणं दो देवा आहेवच्चं जाव विहरंति, तं जहा - चंदे य सूरे य ।
५. ज्योतिष्क देवों पर आधिपत्य करने वाले दो देव इन्द्र हैं । यथा - चन्द्र और सूर्य ।
5. Over Jyotishk (Stellar) gods two gods (Indras) reign... and so on up to... enjoy divine pleasures. They are – Chandra and Surya. ६. [प्र.] सोहम्मीसाणेसु णं भंते ! कप्पेसु कति देवा आहेवच्चं जाव विहरंति ?
[उ. ] गोयमा ! दस देवा जाव विहरंति, तं जहा - सक्के देविंदे देवराया, सोमे, जमे, वरुणे, वेसमणे । देविंदे देवराया, सोमे, जमे, वरुणे, वेसमणे। एसा वत्तव्वया सव्वेसु वि कप्पेसु, एते चैव भाणियव्वा । जे य इंदा ते य भाणियव्या ।
सेवं भेतं ! सेवं भंते! त्ति ।
ईसा
॥ तइए सए : अट्टमो उद्देसो समत्तो ॥
६. [ प्र.] भगवन् ! सौधर्म और ईशानकल्प में कितने देव आधिपत्य करते हैं ?
[उ.] गौतम ! उन पर दस देव आधिपत्य करते हैं । यथा - ( १ ) ( इन्द्र - ) देवेन्द्र देवराज शक्र
यम, वरुण और वैश्रमण |
( लोकपाल - ) सोम, यम, वरुण और वैश्रमण, (२) (इन्द्र - ) देवेन्द्र देवराज ईशान (लोकपाल - ) सोम, फ्र
6. [Q.] Bhante ! How many gods reign over Saudharma and Ishan Kalps?
This statement should be repeated for all Kalps (divine realms) and names of the respective Indra of these realms should be stated.
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यह सारी वक्तव्यता सभी कल्पों (देवलोकों) के विषय में कहनी चाहिए और जिस देवलोक का जो फ्र इन्द्र है, वह कहना चाहिए ।
“Bhante ! Indeed that is so. Indeed that is so.” With these words... and 5 so on up to... ascetic Gautam resumed his activities.
'हे भगवन् ! यह इसी प्रकार है, भगवन् ! यह इसी प्रकार है'; यों कहकर यावत् गौतम स्वामी 5 विचरण करने लगे ।
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विवेचन : वाणव्यन्तर देव और उनके अधिपति - यहाँ पिशाचकुमार का अर्थ सभी वाणव्यन्तर देव समझना फ चाहिए । वाणव्यन्तर देवों के ८ भेद हैं-उनके भेद व इन्द्रों के नाम क्रमशः इस प्रकार हैं
तृतीय शतक : अष्टम उद्देशक
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[Ans.] Gautam ! Over them ten gods (Indras ) reign... and so on up फ
5 to... enjoy divine pleasures. They are – ( 1 ) (Indra— ) Shakrendra, the फ king of gods, (Lok-pals — ) Soma, Yama, Varun and Vaishraman; (2) (Indra-) Ishanendra, the king of gods, (Lok-pals-) Soma, Yama, 卐 Varun and Vaishraman.
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Third Shatak: Eighth Lesson
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