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[उ. ] गौतम ! उस सौधर्मावतंसक महाविमान से पश्चिम में सौधर्मकल्प से असंख्येय हजार योजन आगे जाने के बाद, वहीं वरुण महाराज का स्वयंज्वल नाम का महाविमान आता है; इससे सम्बन्धित सारा वर्णन सोमदेव के महाविमान की तरह जानना चाहिए, राजधानी यावत् प्रासादावतंसकों के सम्बन्ध में भी इसी प्रकार समझना चाहिए। केवल नामों में अन्तर है।
6. [Q. 1] Bhante ! What is the location of the mahavimaan (great celestial vehicle) named Svayamjval belonging to Varun Maharaj, the Lok-pal of Devendra Shakra, the overlord of gods? ___ [Ans.] To the south of that Saudharmavatamsak Mahavimaan, on going innumerable Yojans away from Saudharma Kalp, comes the mahavimaan (great celestial vehicle) named Svayamjval belonging to Varun Maharaj, the Lok-pal of Devendra Shakra, the overlord of gods. Other details should be repeated as mentioned about the vimaan of Soma Maharaj. In the same way the description of the capital city should be repeated... and so on up to... the rows of mansions. The only difference is in names.
[२ ] सक्कस्स णं वरुणस्स महारण्णो इमे देवा जाव चिटंति, तं जहा- वरुणकाइया ति वा, वरुणदेवयकाइया इ वा, नागकुमारा नागकुमारीओ, उदहिकुमारा उदहिकुमारीओ, थणियकुमारा थणियकुमारीओ, जे यावण्णे तहप्पगारा सवे ते तव्भत्तिया जाव चिटुंति। __ [३ ] जंबुद्दीवे दीवे मंदरस्स पव्वयस्स दाहिणेणं जाइं इमाइं समुप्पज्जंति, तं जहा-अतिवासा ति वा, मंदवासा ति वा, सुवुट्ठी ति वा, दुब्बुट्ठी ति वा, उदब्भेया ति वा, उदप्पीला इ वा, उदवाहा ति वा, पवाहा ति व, गामवाहा ति वा, जाव सन्निवेसवाहा ति वा, पाणक्खया जाव तेसिं वा वरुणकाइयाणं देवाणं।
[२ ] देवेन्द्र देवराज शक्र के लोकपाल वरुण महाराज के ये देव आज्ञा में यावत् (निर्देश में) रहते हैंवरुणकायिक-वरुणदेवकायिक; नागकुमार-नागकुमारियाँ; उदधिकुमार-उदधिकुमारियाँ; स्तनितकुमारस्तनितकुमारियाँ; ये और दूसरे सब इस प्रकार के देव, उनकी भक्ति वाले यावत् उनकी आज्ञा में रहते हैं।
[३] जम्बूद्वीप नामक द्वीप में मन्दर पर्वत से दक्षिण दिशा में जो ये स्थितियाँ समुत्पन्न होती हैं, वे इस प्रकार हैं-अतिवर्षा, मन्दवर्षा, सवष्टि, दर्वष्टि, उदकोदभेद (पर्वत आदि से निकलने वाला झरना). उदकोत्पील (सरोवर आदि में जमा हुई जलराशि), उदवाह (पानी का अल्प प्रवाह), प्रवाह, ग्रामवाह (ग्राम का बह जाना) यावत् सन्निवेशवाह, प्राणक्षय यावत् इसी प्रकार के दूसरे सभी उपद्रव वरुण महाराज से अथवा वरुणकायिक देवों से अज्ञात नहीं हैं। ___ [2] Under the command, attendance, order and direction of Varun Maharaj, the Lok-pal of Devendra Shakra, the overlord of gods are ollowing gods-Varun-kayik (Samanik gods), Varundev-kayik (family nembers), Naag Kumars and Naag Kumaris, Udadhi Kumars and Udadhi
तृतीय शतक : सप्तम उद्देशक
(505)
Third Shatak : Seventh Lesson
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