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[ ७ ] सक्कस्स णं देविंदस्स देवरण्णो सोमस्स महारण्णो सत्तिभागं पलिओवमं ठिती पण्णत्ता । अहावच्चाभिण्णायाणं देवाणं एगं पलिओवमं टिई पण्णत्ता । एमहिड्ढीए जाव एमहाणुभागे सोमे महाराया । [ ६ ] देवेन्द्र देवराज शक्र के लोकपाल - सोम महाराज के ये देव पुत्र रूप में पहचाने जाते हैं, जैसे
5 अंगारक (मंगल), विकालिक (ज्योतिष्क देवों की एक जाति), लोहिताक्ष ( एक महाग्रह), शनैश्चर, 5 चन्द्र, सूर्य, शुक्र, बुध, बृहस्पति और राहु |
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[ ६ ] सक्कस्स णं देविंदस्स देवरण्णो सोमस्स महारण्णो इमे अहावच्चा अभिण्णाया होत्था, 5 तं जहा - इंगालए वियालए लोहियक्खे सणिच्छरे चंदे सूरे सुक्के बुहे बहस्सती राहू ।
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[ ७ ] देवेन्द्र देवराज शक्र के लोकपाल-सोम महाराज की स्थिति तीन भाग सहित एक पल्योपम की
होती है और उसके द्वारा उसके पुत्ररूप में पहचाने जाने वाले देवों की स्थिति एक पल्योपम की होती है।
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5 the Lok-pal of Devendra Shakra – Angarak (Mars), Vikalik (a clan of
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5 stellar gods), Lohitaksh (a large planet), Shanaishchar (Saturn), 5 Chandra (the moon), Surya (the sun ), Shukra (Venus), Budh (Mercury), 5 Brihaspati (Jupiter) and Rahu.
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इस प्रकार सोम महाराज, महाऋद्धि यावत् महाप्रभाव वाला है।
[7] The life-span of Soma Maharaj, the Lok-pal of Devendra Shakra is one and one-third of a Palyopam (a metaphoric unit of time). The life - 5 span of the said gods recognized as his sons is one Palyopam. Thus Soma Maharaj, the Lok-pal of Devendra Shakra is endowed with great 5 opulence... and so on up to... influence.
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[6] The following gods are recognized as the sons of Soma Maharaj,
यम लोकपाल का वर्णन LOK-PAL YAMA
५. [ प्र. १ ] कहि णं भंते ! सक्कस्स देविंदस्स देवरण्णो जमस्स महारण्णो वरसिट्ठे णामं महाविमाणे 5 5 पण्णत्ते ?
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[ उ. ] गोयमा ! सोहम्मवर्डियस्स महाविमाणस्स दाहिणेणं सोहम्पे कप्पे असंखेज्जाई जोयणसहस्साई
5 वीईवइत्ता एत्थ णं सक्कस्स देविंदस्स देवरण्णो जमस्स महारण्णो वरसिट्टे णामं महाविमाणे पण्णत्ते, अद्धतेरस फ्र
जहा सोमस्स विमाणं तहा जाव अभिसेओ । रायहाणी तहेव जाव पासायपंतीओ।
जोयणसयसहस्साइं
५. [ प्र. १ ] भगवन् ! देवेन्द्र देवराज शक्र
महाविमान कहाँ है ?
जो
5 595 5 55 5 55 59595959595959595959595959595555955555 5 55 55 5 59595 2
[उ.] गौतम ! सौधर्मावतंसक नाम के महाविमान से दक्षिण में, सौधर्मकल्प से असंख्य हजार
साढ़े बारह लाख योजन लम्बा- - चौड़ा है, इत्यादि सारा वर्णन सोम महाराज के ( सन्ध्याप्रभ) विमान
तृतीय शतक : सप्तम उद्देशक
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लोकपाल - यम महाराज का वरशिष्ट नामक 卐
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Third Shatak: Seventh Lesson
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5 योजन आगे चलने पर, देवेन्द्र देवराज शक्र के लोकपाल यम महाराज का वरशिष्ट नामक महाविमान है, 5
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