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१५. सभी इन्द्रों में से जिस इन्द्र के जितने आत्मरक्षक देव हैं, उन सबका वर्णन यहाँ करना चाहिए।
'हे भगवन् ! यह इसी प्रकार है, भगवन् ! यह इसी प्रकार है', यों कहकर गौतम स्वामी विचरण करते हैं। फ़ 15. The description of all guard-gods (Atmarakshak Devs) of all $ different Indras possessing such gods should be given here. ___ “Bhante ! Indeed that is so. Indeed that is so.” With these words... and so on up to... ascetic Gautam resumed his activities.
विवेचन : आत्मरक्षक देव और उनकी संख्या-स्वामी की रक्षा के लिए सेवक की तरह, इन्द्र की रक्षा में, उसके पीछे, जो शस्त्रादि से सुसज्ज होकर तत्पर रहते हैं, वे 'आत्मरक्षक देव' कहलाते हैं। प्रत्येक इन्द्र के सामानिक ॐ देवों से आत्मरक्षक देवों की संख्या चौगुनी होती है। सामानिक देवों की संख्या इस प्रकार है-चमरेन्द्र के
६४ हजार, बलीन्द्र के ६० हजार तथा शेष नागकुमार आदि भवनपति देवों के प्रत्येक इन्द्र के ६-६ हजार,
सामानिक देव। शक्रेन्द्र के ८४ हजार, ईशानेन्द्र के ८० हजार, सनत्कुमारेन्द्र के ७२ हजार, माहेन्द्र के 5 ७० हजार, ब्रह्मेन्द्र के ६० हजार, लान्तकेन्द्र के ५० हजार, शुक्रेन्द्र के ४० हजार, सहस्रारेन्द्र के ३० हजार, प्राणतेन्द्र के २० हजार और अच्युतेन्द्र के १० हजार सामानिक देव होते हैं। (वृत्ति, पत्रांक १९४)
॥ तृतीय शतक : छठा उद्देशक समाप्त ॥ Elaboration-Atmarakshak Devs and their number-Equipped with weapons they attend Indras as personal guards for personal protection.
They stand alert behind their overlord. The number of these guard-gods 41 for each Indra is four times the number of Samanik gods in his
attendance. The numbers of Samanik gods are as follows-Chamarendra has 64 thousand Samanik Devs (gods of same status) and Balindra 60 thousand, all other Indras including those of Naag Kumars and other abode-dwelling gods have 6 thousand Samanik Devs each. Shakrendra has 84 thousand, Ishanendra 80 thousand, Sanatkumarendra 72 i thousand, Maahendra 70 thousand, Brahmendra 60 thousand,
Lantakendra 50 thousand, Shukrenda 40 thousand, Sahasrarendra 30 thousand, Pranatendra 20 thousand and Achyutendra 10 thousand Samanik Devs. (Vritti, leaf 194)
• END OF THE SIXTH LESSON OF THE THIRD CHAPTER •
तृतीय शतक : छठा उद्देशक
(493)
Third Shatak: Sixth Lesson %%%%%%%步步步步步步步步步步步步牙牙牙牙牙%%%%%%%%%%%
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