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१३. [प्र. ] अणगारे णं भंते ! भावियप्पा केवइयाई पभू गामरूवाई विकुवित्तए ?
[उ. ] गोयमा ! से जहानामए जुवति जुवाणे हत्थेणं हत्थे गेण्हेज्जा तं चेव जाव विकब्विंसु वा ३।। एवं जाव सन्निवेसरूवं वा।
१३. [प्र. ] भगवन् ! भावितात्मा अनगार कितने ग्रामरूपों की विकुर्वणा करने में समर्थ है? [उ. ] गौतम ! जैसे युवक युवती का हाथ अपने हाथ से दृढ़तापूर्वक पकड़कर चलता है, इस पूर्वोक्त : दृष्टान्त के अनुसार समग्र वर्णन यहाँ कहना चाहिए; (अर्थात् वह इस प्रकार के रूपों से सारे जम्बूद्वीप को । है ठसाठस भर सकता है) यह उसकी केवल विकुर्वण-क्षमता है, किन्तु इतने रूपों की विकुर्वणा कभी की नहीं, ५ म (करता नहीं और करेगा भी नहीं।) इसी तरह से यावत् सन्निवेशरूपों (की विकुर्वणा) पर्यन्त कहना चाहिए। । f 13. (Q.) Bhante ! How many such village-forms a sagacious ascetic (bhaavitatma anagar) is capable of creating by transmutation (vikurvana)? y
(Ans.) Gautam ! (He can tightly pack the whole of Jambudveep continent) exactly like the aforesaid example of a young man tightly holding the hand of a young woman. However, this great power is theoretical. In practice, he has never performed transmutation to aforesaid
extant, neither he does, nor will he do. The same statement about y F transmutation should be repeated in proper order up to sannivesh-forms. चमरेन्द्र के आत्मरक्षक THE PERSONAL GUARDS OF CHAMARENDRA
१४. [प्र. ] चमरस्स णं भंते ! असुरिंदस्स असुररण्णो कति आयरक्खदेवसाहस्सीओ पण्णताओ ?
[उ. ] गोयमा ! चत्तारि चउसट्ठीओ आयरक्खदेवसाहस्सीओ पण्णत्ताओ। ते णं आयरक्खा वण्णओ * जहा रायप्पसेणइज्जे।
१४. [प्र. ] भगवन् ! असुरेन्द्र असुरराज चमरेन्द्र के कितने हजार आत्मरक्षक देव हैं ? # [उ. ] गौतम ! असुरेन्द्र असुरराज चमरेन्द्र के चौंसठ हजार के चार गुने (दो लाख छप्पन हजार) । आत्मरक्षक देव हैं। आत्मरक्षक देवों का वर्णन राजप्रश्नीयसूत्र के अनुसार समझना चाहिए।
___ 14. [Q.] Bhante ! How many thousand guard-gods (Atmarakshak
Devs) does Chamarendra, the king of Asur Kumar gods, have ? ___ [Ans.] Chamarendra, the Indra (king or overlord) of Asur Kumar
gods, has four times sixty four thousand (two hundred fifty six thousand) 9 A guard-gods (Atmarakshak Devs). The description of guard-gods: (Atmarakshak Devs) should be given according to Rajaprashniya Sutra.
१५. एवं सब्वेसिं इंदाणं जस्स जत्तिया आयरक्खा ते भाणियवा। सेवं भंते ! सेवं भंते ! त्ति।
॥ तइए सए : छट्ठो उद्देसो समत्तो ॥
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भगवतीसूत्र (१)
(492)
Bhagavati Sutra (1)
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