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[Ans.] Gautam ! Here repeat all details as aforesaid. [2] The same should be repeated for transmuting of human-forms with both sided Paryank posture.
अनगार के अश्वादि रूप ASCETIC TAKING FORM OF HORSE ETC.
१२. [ प्र. ] अणगारे णं भंते ! भावियप्पा बाहिरए पोग्गले अपरियाइत्ता पभू एगं महं आसरूवं वा हथिरूवं वा सीह-वग्घ-वग -दीविय -अच्छ-तरच्छ - परासररूवं वा अभिजुंजित्तए ?
[उ. ] णो इणट्ठे समट्ठे, अणगारे णं एवं बाहिरए पोग्गले परियाइत्ता पभू ।
१२. [ प्र. ] भगवन् ! भावितात्मा अनगार, बाहर के पुद्गलों को ग्रहण किये बिना एक बड़े अश्व के रूप को, हाथी के रूप को, सिंह, बाघ, भेड़िये (वृक), चीते (द्वीपिक), रीछ ( भालू), छोटे तेंदुए (रक्ष) अथवा पराशर ( शरभ = अष्टापद) के रूप का अभियोग करने में समर्थ है ?
[ उ. ] गौतम ! यह बात शक्य नहीं है। (अर्थात् विद्या, मंत्र आदि के बल से ग्रहण किये हुए बाह्य पुद्गलों के बिना यह पूर्वोक्त रूपों का अभियोग नहीं कर सकता ।) वह भावितात्मा अनगार बाहर के पुद्गलों को ग्रहण करके (पूर्वोक्त रूपों का अभियोग करने में समर्थ है।
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12. [Q.] Bhante ! Without acquiring outside matter particles, is a sagacious ascetic (bhaavitatma anagar) capable of performing abhiyoga (entering into and manipulating some other body) and taking the following forms—a large horse, elephant, lion, tiger, wolf (urik), cheetah (dvipik), bear, leopard ( raksh) or a Parashar (an extinct species of ferocious animal) ?
[Ans.] Gautam ! It is not possible. However, that sagacious ascetic (bhaavitatma anagar) is capable of performing abhiyoga by acquiring outside matter particles.
१३. [ प्र. १ ] अणगारे णं भंते ! भावियप्पा एगं महं आसरूवं वा अभिजुंजित्ता अणेगाई जोयणाई गमित्त पभू ?
[उ. ] हंता, पभू ।
१३. [ प्र. १ ] भगवन् ! भावितात्मा अनगार, एक बड़े अश्व के रूप का अभियोजन करके अनेक योजन तक जा सकता है ?
[उ.] हाँ, गौतम ! वह वैसा करने में समर्थ है।
13. [Q. 1] Bhante ! Is a sagacious ascetic (bhaavitatma anagar) performing abhiyoga and taking the form of a large horse capable of travelling a distance of many Yojans?
[Ans.] Yes, he is capable of doing that.
भगवतीसूत्र (१)
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Bhagavati Sutra (1)
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