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[Ans.] Gautam ! These (Asur Kumar) gods have inborn or traditional 卐 animosity with Vaimanik gods. For that reason these gods, out of anger, employing their power of transmutation (vaikriya shakti) create gigantic fearsome forms. Then they go to have sexual enjoyment with consorts of Vaimanik gods and to terrorize the guard-gods (of the Indra). They steal ordinary gems and elope to forlorn places.
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[Q. 2] Bhante ! Do those (Vaimanik) gods posses enough ordinary gems ? 5 [Ans.] Yes, Gautam ! They do.
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[Q. 3] Bhante ! When those (Asur Kumar) gods run away after stealing those gems from Vaimanik gods, how do they react?
[Ans.] The Vaimanik gods cause them extreme physical pain.
[प्र. ४ ] पभू णं भंते ! ते असुरकुमारा देवा तत्थगया चेव समाणा ताहिं अच्छराहिं सद्धिं दिव्वाई भोग भोगाई भुंजमाणा विहरित्तए ?
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[ उ. ] णो इणट्ठे समट्ठे। ते णं तओ पडिनियत्तंति, तओ पडिनियत्तिता इहमागच्छंति, आगच्छित्ता णं ताओ अच्छराओ आढायंति परियाणंति, पभू णं ते असुरकुमारा देवा ताहिं अच्छराहिं सद्धिं दिव्वाई भोग भोगाई भुंजमाणा विहरित्तए । अह णं ताओ अच्छराओ नो आढायंति नो परियाणंति णो णं पभू ते असुरकुमारा देवा ताहिं अच्छराहिं सद्धिं दिव्वाई भोगभोगाई भुंजमाणा विहरित्तए । एवं खलु गोयमा ! असुरकुमारा देवा सोहम्मं कप्पं गया य, गमिस्संति य ।
[प्र.४ ] भगवन् ! क्या सौधर्मकल्प में गये हुए वे असुरकुमार देव उन (देवलोक की) अप्सराओं साथ दिव्य भोग भोगने में समर्थ हैं ?
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[ उ. ] (गौतम !) ऐसा करने में वे समर्थ नहीं। वे (असुरकुमार देव ) वहाँ से वापस लौट जाते हैं। वहाँ से लौटकर वे अपने स्थान में आते हैं। यदि वे ( वैमानिक) अप्सराएँ उनका (असुरकुमार देवों का ) आदर करें, उन्हें स्वामी रूप में स्वीकारें तो, वे असुरकुमार देव उन अप्सराओं के साथ दिव्य भोग भोग 5 सकते हैं - यदि वे अप्सराएँ उनका आदर न करें, उनको स्वामी-रूप में स्वीकार न करें तो, असुरकुमार देव उन अप्सराओं के साथ दिव्य एवं भोग्य भोगों को नहीं भोग सकते। गौतम ! इस कारण से 5 असुरकुमार देव सौधर्मकल्प तक गये हैं और जायेंगे ।
[Q. 4] Bhante ! Are the Asur Kumar gods reaching Saudharma Kalp capable of enjoying divine pleasures with the goddesses of that divine realm ?
[Ans.] (Gautam !) They are not capable of doing so. They (Asur Kumar gods) return from there and come to their own abodes. In case those goddesses (Vaimanik) like them (Asur Kumar gods) and accept them as their mates, only then those Asur Kumar gods can enjoy divine
Third Shatak: Second Lesson
तृतीय शतक : द्वितीय उद्देशक
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