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Dharmastikaya (motion entity) and all the others touch innumerable fraction of Dharmastikaya (motion entity).
॥ द्वितीय शतक समाप्त ॥
Elaboration-Dharmastikaya (motion entity) pervades the whole Lok (occupied space; universe) measuring 14 Rajjus (a conceptual unit of linear measure) and the dimension of the lower world (Adholok) is a little more than 7 Rajjus. Therefore the lower world (Adholok) touches slightly more than half of Dharmastikaya (motion entity). The transverse world (Tiryaklok) is in the middle and its size is 1,800 Yojans, whereas the size of Dharmastikaya (motion entity) is innumerable Yojans. Therefore the transverse world (Tiryaklok) touches innumerable fraction of Dharmastikaya (motion entity). The size of the upper world (Urdhvalok) is a little less than 7 Rajjus and that of Dharmastikaya (motion entity) is 14 Rajjus. Therefore, the upper world (Urdhvalok) touches slightly less than half of Dharmastikaya (motion entity).
END OF THE TENTH LESSON OF THE SECOND SHATAK • END OF THE SECOND SHATAK (CHAPTER TWO ) ●
विवेचन : धर्मास्तिकाय चतुर्दश रज्जुप्रमाण समग्र लोकव्यापी है और अधोलोक का परिमाण सात रज्जु से कुछ अधिक है। इसीलिए अधोलोक धर्मास्तिकाय के आधे से कुछ अधिक भाग का स्पर्श करता है । तिर्यग्लोक 5 मध्य में है उसका परिमाण १,८०० योजन है और धर्मास्तिकाय का परिमाण असंख्येय योजन का है। इसलिए क तिर्यग्लोक धर्मास्तिकाय के असंख्येय भाग का स्पर्श करता है। ऊर्ध्वलोक देशोन सात रज्जु-परिमाण है और धर्मास्तिकाय चौदह रज्जु-परिमाण है। इसलिए ऊर्ध्वलोक धर्मास्तिकाय के देशोन अर्ध-भाग का स्पर्श करता है। ॥ द्वितीय शतक : दशम उद्देशक समाप्त ॥
द्वितीय शतक : दशम उद्देशक
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Second Shatak: Tenth Lesson
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