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१२. [प्र. ] अलोयगासे णं भंते ! किं जीवा ? पुच्छा तह चेव (सु. ११)।
[उ. ] गोयमा ! नो जीवा जाव नो अजीवप्पएसा। एगे अजीवदव्वदेसे अगुरुयलहुए अणंतेहिं 9 अगुरुयलहुयगुणेहिं संजुत्ते सव्वागासे अणंतभागूणे।
१२. [प्र. ] भगवन् ! क्या अलोकाकाश में जीव हैं, यावत् अजीवप्रदेश हैं ? इत्यादि पूर्ववत् पृच्छा। म [उ. ] गौतम ! अलोकाकाश में न जीव हैं, यावत् न ही अजीवप्रदेश हैं। वह एक अजीवद्रव्य देश
है, अगुरु-लघु है तथा अनन्त अगुरु-लघु गुणों से संयुक्त है; (क्योंकि लोकाकाश सर्वाकाश का ॐ अनन्तवाँ भाग है, अतः) वह अनन्त भाग कम सर्वाकाशरूप है।
12. (Q.) Bhante ! Are there souls (jivas) in Alokakash (unoccupied 卐 spacs) ?... and so on up to... and pradeshas (paramanu) of matter ? $ (as aforesaid)
(Ans.) Gautam ! There are no souls (jivas) in Alokakash (unoccupied 卐 space)?... and so on up to... and no pradeshas (paramanu) of matter ? It 卐 is a desha (section) of non-soul entity, it is aguru-laghu (non-heavy-non\ light) and endowed with infinite aguru-laghu (non-heavy-non-light)
attributes and it is infinite parts less than the whole space (this is s because Lokakash or occupied space is an infinite fraction of the whole space).
विवेचन : देश, प्रदेश-प्रस्तुत प्रसंग में देश का अर्थ है-जीव या अजीव के बुद्धिकल्पित दो, तीन आदि विभाग; तथा प्रदेश का अर्थ है-जीवदेश या अजीवदेश के बुद्धिकल्पित ऐसे सूक्ष्मतम विभाग, जिनके फिर दो म विभाग न हो सकें। स्कन्ध, स्कन्धदेश, स्कन्धप्रदेश, परमाणुपुद्गल-परमाणुओं का समूह 'स्कन्ध' कहलाता है।
स्कन्ध के दो, तीन आदि भागों को स्कन्धदेश कहते हैं, तथा स्कन्ध के ऐसे सूक्ष्म अंश, जिनके स्कन्ध रूप में फिर विभाग न हो सकें, उन्हें स्कन्धप्रदेश कहते हैं, 'परमाणु' ऐसे सूक्ष्मतम अंशों को कहते हैं, जो स्कन्धभाव को प्राप्त म नहीं हुए-किसी से मिले हुए नहीं-स्वतंत्र हैं। अद्धा-समय–अर्थात् आवलिका मुहूर्त आदि काल है।
Elaboration-Desh and pradesh-Here desh means imaginary sections of soul or matter, may be two, three or more. Pradesh means such 41 imaginary micro-sections of the said sections of soul or matter that
cannot be further divided. Skandh, skandh-desh, skandh-pradesh and paramanupudgal-Skandh is aggregate of ultimate particles of matter. Skandh-desh are two, three or more larger parts of an aggregate of matter. Skandh-pradesh are minute parts of the said larger parts which cannot be further divided without loosing their identity as aggregates.
amanupudgal are the ultimate particles of matter that have not become aggregates and exist independently. Addha-samaya is time and it includes various units of time, such as Avalika, Muhurt etc.
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भगवतीसूत्र (१)
(334)
Bhagavati Sutra (1)
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