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चित्र परिचय ४
स्कन्दक परिव्राजक : भगवान के समवसरण में
हुए
(१) एक समय भगवान महावीर कृतंगला नगरी के छत्रपलाश उद्यान में पधारे। श्रावस्ती निवासी गर्दमाली ऋषि के शिष्य स्कन्दक परिव्राजक ने हजारों स्त्री-पुरुषों को भगवान के दर्शन करने उद्यान की ओर जाते 5 देखा। स्कन्दक परिव्राजक भी भगवान महावीर के दर्शन करने को उत्सुक हुआ अपने छत्र, आसन, दण्ड आदि साथ लेकर गले में मालाएँ डाल ली मन की अनेक शंकाओं का समाधान पाने के लिए भगवान के समवसरण की तरफ चला ।
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(२) समवसरण में विराजित प्रभु महावीर ने गणधर गौतम से फरमाया - गौतम ! आज तुम (पूर्वजन्म) के परिचित मित्र स्कन्दक परिव्राजक को देखेगा। उससे मिलेगा।
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Illustration No. 4
गौतम ने पूछा- भन्ते ! कब, कितने समय बाद मैं उसे वहाँ देखूँगा ?
भगवान ने कहा- गौतम! श्रावस्ती नगरी से चलकर वह शीघ्र की इस उद्यान की तरफ आ रहा है | कुछ समय बाद तुम उसे आते देखोगे ?
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उसी समय स्कन्दक समवसरण की तरफ आता दिखाई दिया। गणधर गौतम अपने स्थान से उठकर उसके सन्मुख गये और प्रसन्न भाव के साथ बोले हे स्कन्दक! आओ तुम्हारा यहाँ स्वागत है ! तुम्हारा आना बहुत अच्छा हुआ ! स्कन्दक भी अत्यन्त हर्षोल्लास पूर्वक अभिवन्दना करके गौतम की तरफ आगे बढ़ता है।
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SKANDAK PARIVRAJAK IN BHAGAVAN'S SAMAVASARAN
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(2) Seated in the Samavasaran Bhagavan Mahavir said to Gautam Ganadhar (Today) Gautam! You are going to see and meet Skandak 5 Parivrajak, your friend (from past birth).
Gautam asked-Bhante! When, how and after how much time will I 卐 see him?
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- शतक २, उ. १, सूत्र १७
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Bhagavan said-Gautam ! He has left Shravasti and is coming towards this
garden. He has come near and soon you will see him coming.
(1) Once Bhagavan Mahavir arrived in Chhatrapalash Garden in Kritangala 5
city. Skandak Parivrajak, the disciple of Gardabhali Rishi of Shravasti saw thousands of men and women going to pay homage to Bhagavan. Skandak Parivrajak also became eager to behold Bhagavan Mahavir. He carried his umbrella, mattress, staff and put garlands on his neck. He then proceeded towards Bhagavan's Samavasaran to remove numerous doubts in his mind.
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Just then Skandak appeared approaching. Ganadhar Gautam got up and
stepped ahead to greet him with pleasure-"O Skandak! Welcome ! A hearty
welcome to you! It is good that you have come." Skandak too greeted Gautam with joy and stepped ahead.
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மிதததித பூதமிழபூமிமிமிமிமிமிமிமி*******மிழமிழ்த***மிதிமி*தமிதிதி
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-Shatak 2, lesson 1, Sutra 17 卐
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