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२८. [प्र. ] भगवन् ! क्या अस्थिर पदार्थ बदलता है और स्थिर पदार्थ नहीं बदलता है? क्या में अस्थिर पदार्थ भंग होता है और स्थिर पदार्थ भंग नहीं होता? क्या बाल शाश्वत है तथा बालत्व अशाश्वत है ? क्या पण्डित शाश्वत है और पण्डितत्व अशाश्वत है ?
[उ. ] हाँ, गौतम ! अस्थिर पदार्थ बदलता है यावत् पण्डितत्व अशाश्वत है। ___ 'हे भगवन् ! यह इसी प्रकार है; भगवन् ! यह इसी प्रकार है।' यों कहकर यावत् गौतम स्वामी , विचरण करते हैं।
28. (Q.) Bhante ! Does an unstable thing change and a stable thing \i does not ? Does an unstable thing disintegrate and a stable thing does
not ? Is the ignorant eternal and ignorance transitory ? Is the wise eternal and wisdom transitory?
[Ans.] Yes, Gautam ! An unstable thing changes... and so on up to... wisdom transitory. ___ “Bhante ! Indeed that is so. Indeed that is so.” With these words... and so on up to... ascetic Gautam resumed his activities.
विवेचन : 'अथिरे पलोट्टेइ' आदि के दो अर्थ-व्यवहार पक्ष में पलट जाने वाला अस्थिर होता है; जैसे-मिट्टी : का ढेला है। अध्यात्म पक्ष में कर्म अस्थिर हैं, वे प्रतिसमय जीवप्रदेशों से चलित-पृथक होते हैं। कर्म अस्थिर होने से बन्ध, उदय और निर्जीर्ण आदि परिणामों द्वारा वे बदलते रहते हैं। व्यवहार पक्ष में पत्थर की शिला स्थिर है, वह बदलती नहीं, अध्यात्य पक्ष में आत्मा स्थिर है। व्यवहार पक्ष में तृणादि नश्वर स्वभाव के हैं, इसलिए भग्न हो जाते ॥ हैं, अध्यात्म पक्ष के कर्म अस्थिर होने से भग्न हो जाते हैं। जीव का प्रकरण होने से व्यवहार पक्ष में अबोध बच्चे को 5 बाल कहते हैं, अध्यात्म पक्ष में असंयत अविरत को बाल कहते हैं। यह जीव द्रव्य रूप होने से शाश्वत हैं और बालत्व, पण्डितत्व आदि जीव की पर्याय होने से अशाश्वत हैं। (वृत्ति, पत्रांक १०२)
॥प्रथम शतक : नवम उद्देशक समाप्त ॥ Elaboration–There are two facets of the aforesaid statement about stability and instability. In the mundane facet what changes is unstable. In the spiritual facet karmas are unstable as they get separated from the soul every moment. Being unstable they continue to change through the processes of bondage, fruition and shedding. In the mundane facet a rock
is stable and in the spiritual facet soul is stable. In the mundane facet 45 straws are transitory therefore they get disintegrated. In spiritual facet 4 karmas are transitory therefore they disintegrate. Here the context is
jiva (soul) therefore for mundane facet baal means an ignorant child and for spiritual facet it means indisciplined or without self-restraint. As soul is an entity it is eternal. Ignorance, wisdom and other attributes are its qualities or modes and are thus transitory. (Vritti, leaf 102)
• END OF THE NINTH LESSON OF THE FIRST SHATAK O
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भगवतीसूत्र (१)
(2:4)
Bhagavati Sutra (1)
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