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[2] At this those Sthavir Bhagavans replied to KaalasyaveshiputraO Arya ! We know Samayik (equanimity) as well as its meaning... and so on up to... we know Vyutsarg (dissociation from the body) as well meaning. _[प्र. ३ ] तए णं से कालासवेसियपुत्ते अणगारे ते थेरे भगवंते एवं वयासी-जति णं अज्जो ! तुन्भे जाणह सामाइयं, जाणह सामाइयस्स अटुं जाव जाणह विउस्सग्गस्स अट्ट किं भे अज्जो ! सामाइए ? किं भे अज्जो ! सामाइयस्स अट्टे ? जाव किं भे विउस्सग्गस्स अट्ठे ?
[उ. ४ ] तए णं थेरा भगवंतो कालासवेसियपुत्तं अणगारं एवं वयासी-आया णे अज्जो ! सामाइए, आया णे अज्जो ! सामाइयस्स अट्टे जाव विउस्सग्गस्स अटे।
[प्र. ३ ] उसके पश्चात् कालास्यवेषिपुत्र अनगार ने उन स्थविर भगवन्तों से इस प्रकार कहा-हे आर्य ! यदि आप सामायिक को (जानते हैं) और सामायिक के अर्थ को जानते हैं, यावत् व्युत्सर्ग को एवं व्युत्सर्ग के अर्थ को जानते हैं, तो बतलाइये कि (आपके मतानुसार) सामायिक क्या है और सामायिक का अर्थ क्या है ? यावत् व्युत्सर्ग क्या है और व्युत्सर्ग का अर्थ क्या है ?
[उ. ४ ] तब उन स्थविर भगवन्तों ने इस प्रकार कहा कि-हे आर्य ! हमारी आत्मा सामायिक है, हमारी आत्मा सामायिक का अर्थ है; यावत् हमारी आत्मा व्युत्सर्ग है, हमारी आत्मा ही व्युत्सर्ग का अर्थ है।
IQ. 3] Kaalasyaveshiputra then asked further from the SthavirsO Arya ! If you know Samayik (equanimity) as well as its meaning... and so on up to... know Vyutsarg (dissociation from the body) as well as its meaning then tell me what (according to you) is Samayik (equanimity) and its meaning... and so on up to... Vyutsarg (dissociation from the body) and its meaning ?
[Ans. 4] At this those Sthavir Bhagavans replied-0 Arya ! Our soul is Samayik (equanimity) and our soul is its meaning... and so on up to... our soul is Vyutsarg (dissociation from the body) our soul is its meaning.
[प्र. ५] तए णं से कालासवेसियपुत्ते अणगारे थेरे भगवंते एवं वयासी-जति भे अज्जो ! आया सामाइए, आया सामाइयस्स अट्ठे एवं जाव आया विउस्सग्गस्स अट्टे, अवहटु कोह-माण-मायालोभे किमटै अज्जो ! गरहह ?
[उ. ] कालास ! संजमट्ठयाए।
[प्र. ५ ] इस पर कालास्यवेषिपुत्र, अनगार ने उन स्थविर भगवन्तों से इस प्रकार पूछा-'हे आर्यो ! यदि आत्मा ही सामायिक है, आत्मा ही सामायिक का अर्थ है और इसी प्रकार यावत् आत्मा ही व्युत्सर्ग
प्रथम शतक: नवम उद्देशक
(205)
First Shatak: Ninth Lesson
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