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+ कालस्यवेषिपुत्र का समाधान QUERY OF KAALASYAVESHIPUTRA ॐ २१. [१] तेणं कालेणं तेणं समएणं पासावच्चिजे कालासवेसियपुत्ते णामं अणगारे जेणेव थेरा म भगवंतो तेणेव उवागच्छति, उवागच्छित्ता थेरे भगवंते एवं वयासी-थेरा सामाइयं न जाणंति, थेरा
सामाइयस्स अटुं न याणंति, थेरा पच्चक्खाणं न याणंति, थेरा पच्चक्खाणस्स अटुं न याणंति, थेरा संजमं मन याणंति, थेरा संजमस्स अटुं न याणंति, थेरा संवरं न याणंति, थेरा संवरस्स अटुं न याणंति, थेरा * विवेगं न याणंति, थेरा विवेगस्स अटुं न याणंति, थेरा विउस्सगं न याति, थेरा विउस्सग्गस्स अट्ठ फ़ न याणंति। .
२१. [१] उस काल (भगवान पार्श्वनाथ के निर्वाण के लगभग २५० वर्ष पश्चात्) और उस म समय (भगवान महावीर के शासनकाल) में पापित्यीय (पार्श्वनाथ की परम्परा के शिष्यानुशिष्य) म
कालास्यवेषिपुत्र (वैश्यपुत्र कालास) नामक अनगार जहाँ (भगवान महावीर के) स्थविर (श्रुतवृद्ध ॐ शिष्य) भगवान विराजमान थे, वहाँ गये। उनके पास आकर स्थविर भगवन्तों से उन्होंने इस प्रकार + कहा-'हे स्थविरो ! आप सामायिक को नहीं जानते, सामायिक का अर्थ नहीं जानते; आप प्रत्याख्यान
को नहीं जानते और प्रत्याख्यान का अर्थ नहीं जानते; आप संयम को नहीं जानते और संयम का अर्थ फ़ नहीं जानते; आप संवर को नहीं जानते और संवर का अर्थ नहीं जानते; हे स्थविरो ! आप विवेक को
नहीं जानते और विवेक का अर्थ नहीं जानते हैं, तथा आप व्युत्सर्ग को नहीं जानते और न व्युत्सर्ग का ॐ अर्थ जानते हैं।'
21. [1] Bhante ! During that period (about 250 years after the nirvana of Bhagavan Parshva Naath) of time (period of influence of Bhagavan Mahavir) an ascetic from the lineage of Bhagavan Parshva Naath named Kaalasyaveshiputra (Kalas, the son of a merchant) went where sthavirs (scholarly ascetics, disciples of Bhagavan Mahavir) were sitting. Approaching the sthavirs he said-0 Sthavirs ! You neither know
Samayik (equanimity) nor its meaning; you neither know Pratyakhyan 41 (renunciation) nor its meaning; you neither know Samyam (ascetic
discipline) nor its meaning; you neither know Samvar (blockage of inflow \ of karmas) nor its meaning; also, O Sthavirs ! You neither know Vivek
(sagacity) nor its meaning; and you neither know Vyutsarg (dissociation from the body) lior its meaning.
[२] तए णं ते थेरा भगवंतो कालासवेसियपुत्तं एवं वयासी-जाणामो णं अज्जो ! सामाइयं, जाणामो णं अज्जो ! सामाइयस्स अट्ठ जाव जाणामो णं अज्जो ! विउस्सग्गस्स अटें।
[२] तब उन स्थविर भगवन्तों ने कालास्यवेषिपुत्र अनगार से इस प्रकार कहा-'हे आर्य ! हम # सामायिक को जानते हैं, सामायिक का अर्थ भी जानते हैं, यावत् हम व्युत्सर्ग को जानते हैं और व्युत्सर्ग . म का अर्थ भी जानते हैं।'
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(204)
Bhagavati Sutra (1)
भगवतीसूत्र (१) 89555555555)
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