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... १४. सागारोवओगो अणागारोवओगो चउत्थएणं पदेणं। म १४. साकारोपयोग और अनाकारोपयोग को चतुर्थ पद से जानना चाहिए।
14. Saakaaropayoga (elaborate cognition) and anaakaaropayog (cursory cognition) conform to the fourth term (i.e. they are aguru-laghu).
१५. सव्वदव्या सव्वपदेसा सव्वपज्जवा जहा पोग्गलत्थिकाओ (सु. ८)। १५. सर्वद्रव्य, सर्वप्रदेश और सर्वपर्याय पुद्गलास्तिकाय के समान समझना चाहिए।
15. As has been said about pudgalastikaya (matter entity) so should also be read for sarva dravya (all substances), sarva pradesh (all sections) and sarva paryaya (all modes).
१६. तीयद्धा अणागतद्धा सम्बद्धा चउत्थेणं पदेणं। म १६. अतीतकाल, अनागत (भविष्य) काल और सर्वकाल चौथे पद से अर्थात् अगुरु-लघु जानना चाहिए। ____16. Ateet kaal (past), anagat kaal (future) and sarva kaal (all time) conform to the fourth term (i.e. they are aguru-laghu).
विवेचन : गुरु-लघु आदि की व्याख्या-गुरु का अर्थ है-भारी। भारी वस्तु होती है, जो पानी पर रखने से डूब जाती है; जैसे-पत्थर आदि। लघु का अर्थ है-हल्की। हल्की वह वस्तु है, जो पानी पर रखने से नहीं डूबती । है बल्कि ऊर्ध्वगामी हो; जैसे-लकड़ी आदि। तिरछी जाने वाली वस्तु गुरु-लघु है, जैसे-वायु। सभी अरूपी द्रव्य ॥ 5 अगुरु लघु हैं; जैसे-आकाश आदि, तथा कार्मणपुद्गल आदि। कोई-कोई रूपी पुद्गल चतुःस्पर्शी (चौफरसी)
पुद्गल भी अगुरु-लघु होते हैं। अष्टस्पर्शी (अठफरसी) पुद्गल गुरु-लघु होते हैं। यह सब व्यवहारनय की । ॐ अपेक्षा से है। निश्चयनय की अपेक्षा से कोई भी द्रव्य एकान्त-गुरु या एकान्त-लघु नहीं है।
____ अवकाशान्तर-चौदह राजू परिमाण पुरुषाकार लोक में नीचे की ओर ७ पृथ्वियाँ (नरक) हैं। प्रथम पृथ्वी के नीचे घनोदधि, उसके नीचे घनवात, उसके नीचे तनुवात है और तनुवात के नीचे आकाश है। इसी क्रम से सातों नरकपृथ्वियों के नीचे ७ आकाश हैं, इन्हें ही अवकाशान्तर कहते हैं। ये अवकाशान्तर आकाशरूप होने से अगुरु लघु हैं। (वृत्ति, पत्रांक ९६-९७)
Elaboration-Guru means heavy or with downward movement. A heavy thing is that which sinks in water, such as stone. Laghu means light or with upward movement. A light thing is that which does not sink in but floats on water, such as wood. A thing having transverse movement 45 is called guru-laghu, such as air. All formless things are aguru-laghu, such as space. Karma particles are also aguru-laghu. Some matter particles having form, those with four attributes of touch, are also aguru-laghu. Matter particles with eight attributes of touch are guru-laghu. All these qualities are from the phenomenal or empirical viewpoint (Vyavahara naya). From noumenal or transcendental viewpoint (Nischaya naya) no substance is singularly heavy or singularly light.
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| प्रथम शतक : नवम उद्देशक
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First Shatak: Ninth Lesson | 2454555555555555555555555555555555555550
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