________________
)))
)
))
)
ज
8,545-55555555 555555555555555555555555555555555558 म असुभस्सरे अमणुण्णस्सरे अमणामस्सरे अणादेज्जवयणे पच्चायाए याऽवि भवति। वण्णवज्झाणि य से .
कम्माइं नो बधाई, पसत्थं नेतव् जाव आदेज्जवयणे पच्चायाए याऽवि भवति। म सेवं भंते ! सेवं भंते ! त्ति.।
॥ पढमे सए : सत्तमो उद्देसो समत्तो ॥ २२. इसके पश्चात् प्रसवकाल में अगर वह गर्भगत जीव मस्तक द्वारा या पैरों द्वारा (गर्भ से) बाहर 卐 आये तब तो ठीक तरह आता है, यदि वह टेढ़ा (आड़ा) होकर आये तो मर जाता है। गर्भ से निकलने के
पश्चात् उस जीव के कर्म यदि अशुभरूप में बँधे हों-स्पृष्ट हों, निधत्त हों, कृत हों, प्रस्थापित हों, अभिनिविष्ट । हों, अभिसमन्वागत हों, उदीर्ण हों और उपशान्त न हों, तो वह जीव कुरूप, कुवर्ण (खराब वर्ण वाला), दुर्गन्ध वाला, कुरस वाला, कुस्पर्श वाला, अनिष्ट, अकान्त, अप्रिय, अशुभ, अमनोज्ञ, अमनाम (जिसका
स्मरण भी बुरा लगे), हीन स्वर वाला, दीन स्वर वाला, अनिष्ट, अकान्त, अप्रिय, अशुभ, अमनोरम एवं ॐ अमनाम स्वर वाला; तथा अनादेय वचन वाला होता है, और यदि उस जीव के कर्म अशुभरूप में न बँधे हुए म हों, तो उसके उपर्युक्त सब बातें प्रशस्त होती हैं, यावत्-वह आदेयवचन वाला होता है।' 'हे भगवन् ! यह इसी प्रकार है, भगवन् ! यह इसी प्रकार है।'
॥प्रथम शतक : सप्तम उद्देशक समाप्त ॥ 22. After that at the time of delivery if that being in the womb comes out from head first or leg first it is the right position but if it comes out
sideways, it dies. If his karmas are ignobly bound (baddha), touched 9 (sprishtra), in state of partial intransigence (nidhatt), acquired (krit), 卐 established (prasthapit), thoroughly assimilated (abhinivisht), are about 5 to fructify (abhisamanvagat), fructified (udirna) and not pacified
(upashant) then that being is born with bad form, bad appearance, bad odour, bad taste and bad touch. He is anisht (not desirable), akaant (not beautiful), apriya (not lovable), ashubha (ignoble), amanojna (not attractive) and amanama (not adorable or whose mere thought is repulsive). He is born with a voice that is feeble, meek, anisht (not
desirable), akaant (not beautiful), apriya (not lovable), ashubha - (ignoble), amanojna (not attractive) and amanama (not adorable or 卐 whose mere thought is repulsive). His language is also unpleasant. $ However if karmas are not ignobly bound then all the aforesaid + attributes are noble... and so on up to... His language is also pleasant.
"Bhante ! Indeed that is so. Indeed that is so." With these words... and 卐 so on up to... ascetic Gautam resumed his activities.
• END OF THE SEVENTH LESSON OF THE FIRST SHATAK
卐555555555555555555555555555555555555
भगवतीसूत्र (१)
(176)
Bhagavati Sutra (1)
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org