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________________ 步步步步步步步步步步步步步步步步步步步步步步步步步步步步步步步步步步步步 ))555555555555555 )))))))))) ६. [प्र. ] नेरइए णं भंते ! नेरइएसु उववज्जमाणे किं अद्धेणं अद्धं उववज्जति १ अद्रेणं सव्वं ॐ उववज्जति २ सव्वेणं अद्धं उववज्जइ ३ सव्वेणं सव्वं उववज्जति ४ ? [उ. ] जहा पढमिल्लेणं अट्ठ दंडगा तहा अद्धेण वि अट्ठ दंडगा भाणियव्वा। नवरं जहिं देसेणं देसं ॐ उववज्जति तहिं अद्रेणं अद्धं उववज्जावेयव्वं, एयं णाणत्तं। एते सव्वे वि सोलस दंडगा भाणियव्वा। ६. [प्र. ] भगवन् ! नैरयिकों में उत्पन्न होता हुआ नारक जीव क्या (१) अर्द्ध-भाग से अर्द्ध-भाग 卐 को आश्रित करके उत्पन्न होता है ? या (२) अर्द्ध-भाग से सर्वभाग को आश्रित करके उत्पन्न होता है? + अथवा (३) सर्वभाग से अर्द्ध-भाग को आश्रित करके उत्पन्न होता है ? या (४) सर्वभाग से सर्वभाग को ॐ आश्रित करके उत्पन्न होता है ? [उ. ] गौतम ! जैसे पहले वालों के साथ आठ दण्डक कहे हैं, वैसे ही 'अर्द्ध' के साथ भी आठ दण्डक कहने चाहिए। विशेषता इतनी है कि-जहाँ ‘एक भाग से एक भाग को आश्रित करके उत्पन्न + होता है', ऐसा पाठ आये. वहाँ 'अर्द्ध-भाग से अर्द्ध-भाग को आश्रित करके उत्पन्न होता है', ऐसा पाठ बोलना चाहिए। बस, यही भिन्नता है। ये सब मिलकर कुल सोलह दण्डक होते हैं। 41 6. (Q.) Bhante ! While being born, does an infernal being take birth (1) as half a part in half a part, (2) as half a part in the whole, (3) as the whole in half a part, or (4) as the whole in the whole ? 3 [Ans.] Like the eight aforesaid alternatives about 'a part', eight \i statements should be repeated about 'half a part'. The only difference 4 being that instead of 'is born as a part in a part' state 'is born as half a si part in half a part. That is the only difference. All these add up to sixteen alternatives. म विवेचन : उपपद्यमान और उत्पन्न-जीव जब पूर्व शरीर को छोड़कर नये जन्म स्थान को ग्रहण करता है, तब उत्पत्ति के पहले समय में आहार पर्याप्ति से पर्याप्त हो जाता है, इसके पश्चात् शरीर व इन्द्रिय पर्याप्तियों का निर्माण 3 करता है। पर्याप्ति से निर्माण की पूर्ववर्ती अवस्था उपपद्यमान अवस्था है, पर्याप्ति से पूर्ण अवस्था उत्पन्न अवस्था है।। देश और सर्व का तात्पर्य-जीव जब नरक आदि में उत्पन्न होता है, तब क्या वह यहाँ (पूर्वभव) के एकदेश से नारक के एकदेश-(अवयवरूप) में उत्पन्न होता है ? अर्थात्-उत्पन्न होने वाले जीव का एक भाग ही नारक के एक भाग के रूप में उत्पन्न होता है ? या पूरा जीव पूरे नारक के रूप में उत्पन्न होता है? यह उत्पत्ति-सम्बन्धी + प्रश्न का आशय है। इसी प्रकार अन्य विकल्पों का आशय भी समझ लेना चाहिए। देश और सर्व के द्वारा उत्पाद उद्वर्तन और आहार के ८ दण्डक हैं-इसी प्रकार अर्द्ध और सर्व के द्वारा जीव के उत्पादादि के विषय में ॐ विचार करने पर भी पूर्वोक्तवत् आठ दण्डक (विकल्प) होते हैं। इस प्रकार कुल मिलाकर १६ दण्डक होते हैं। नैरयिक की नैरयिकों में उत्पत्ति कैसे ? यद्यपि नारक मरकर नरक में उत्पन्न नहीं होता, मनुष्य और तिर्यंच मरकर ही नरक में उत्पन्न हो सकते हैं, फिर यहाँ नारक का नरक में उत्पन्न होना कैसे कहा? इसका समाधान ॐ यह है कि जो जीव पूर्व गति का आयुष्य समाप्त कर चुका है, जिसके नरकायु का उदय हो चुका है, उस नरक म में उत्पन्न होने वाले जीव की अपेक्षा से यहाँ उस जीव को नारक कहा है। a5 $$ $$$$$$$$$$$$$$$$$$$ $5555555555555555555 5听听听听听听 卐) भगवतीसूत्र (१) (162) Bhagavati Sutra (1) 84555))))))))5555555555558 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org,
SR No.002902
Book TitleAgam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhyaprajnapti Sutra Part 01 Sthanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAmarmuni, Shreechand Surana
PublisherPadma Prakashan
Publication Year2005
Total Pages662
LanguageHindi, English
ClassificationBook_Devnagari, Book_English, Agam, Canon, Conduct, & agam_bhagwati
File Size20 MB
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