________________
卐
फ्र
फफफफफफफफफ
5
cardinal and middle directions with its radiance. Does the setting sun 卐 too light up, illuminate, warm up and blaze the same area in all cardinal and middle directions with its radiance?
[Ans.] Yes, Gautam ! Like the rising sun lights up ( prakashit),
and
so on up to... and blazes (prabhasit) certain area, in the same way the 5 setting sun also lights up, ... and so on up to... and blazes the same area.
३. [ प्र. १ ] तं भंते ! किं पुट्ठे ओभासेति अपुठ्ठे ओभासेति ?
[उ. ] जाव छद्दिसिं ओभासेति । [ २ ] एवं उज्जोवेइ तवेति पभासेति जाव नियमा छद्दिसिं ।
३. [प्र.१ ] भगवन् ! सूर्य जिस क्षेत्र को प्रकाशित करता है, क्या वह क्षेत्र सूर्य से स्पृष्ट-स्पर्शस्पर्श किया हुआ होता है, या अस्पृष्ट होता है ?
[उ.] वह क्षेत्र सूर्य से स्पृष्ट होता है और यावत् उस क्षेत्र को छहों दिशाओं में प्रकाशित करता है। [ २ ] इसी प्रकार उद्योतित करता है, तपाता है और बहुत तपाता है, यावत् नियमपूर्वक छहों दिशाओं 5 में अत्यन्त तपाता है।
3. [Q. 1] Bhante ! Is the area lit up by the sun touched by it or not touched ?
[Ans.] That area is touched by the sun till it lights up all the six directions. [2] In the same way it illuminates, warms and blazes all the six directions as a rule.
४. [ प्र. १ ] से नूणं भंते ! सव्वंति सव्वावंति फुसमाणकालसमयंसि जावतियं खेत्तं फुसइ तावतियं समाणे पुट्ठेति वत्तव्यं सिया ?
[उ. ] हंता, गोयमा ! सव्वंति जाव वत्तव्वं सिया ।
[प्र. २] तं भंते! किं पुट्ठे फुसति अपुट्ठे फुसति ?
[ उ. ] जाव नियमा छद्दिसिं ।
४. [ प्र. १ ] भगवन् ! स्पर्श करने के समय में सूर्य के साथ सम्बन्ध रखने वाले जितने क्षेत्र को सर्व दिशाओं में सर्वात्मना सूर्य स्पर्श कर रहा होता है, क्या उस क्षेत्र का 'स्पृष्ट' कहा जा सकता है ?
[ उ. ] हाँ, गौतम ! वह 'सर्व' यावत् सर्वात्मना स्पर्श करता हुआ स्पृष्ट; ऐसा कहा जा सकता है। [प्र. २ ] भगवन् ! सूर्य स्पृष्ट क्षेत्र का स्पर्श करता है, या अस्पृष्ट क्षेत्र का स्पर्श करता है ?
[.] सूर्य पृष्ट क्षेत्र का स्पर्श करता है, यावत् नियमपूर्वक छहों दिशाओं में स्पर्श करता है। 4. [Q. 1] Bhante ! Can all the area in all the directions coming in full फ्र contact with the sun at the time of touching be called to have been touched ?
卐
भगवतीसूत्र (१)
फ
卐
Jain Education International
(142)
For Private & Personal Use Only
फ्र
Bhagavati Sutra (1)
फ्र
www.jainelibrary.org