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३. [प्र. १] भगवन् ! मोहनीय कर्म जब उदय में आया हो, तब क्या जीव अपक्रमण (पतन) करता है, अर्थात्-उत्तम गुणस्थान से हीन गुणस्थान में जाता है?
[उ.] हाँ, गौतम ! अपक्रमण करता है।
3. [Q. 1] Bhante ! On fruition of Mohaniya karma (deluding karma) does a living being endeavour for downward movement (apakraman)
(from a higher Gunasthan to a lower one) ? 3 [Ans.] Yes, Gautam ! He endeavours for downward movement 卐 (apakraman).
[प्र. २ ] से भंते ! जाव बालपंडियवीरियत्ताए अवक्कमेज्जा ३ ?
[उ.] गोयमा ! बालवीरियत्ताए अवक्कमेज्जा, नो पंडितवीरियत्ताए अवक्कमेज्जा, सिय बालपंडितवीरियत्ताए अवक्कमेज्जा।
[प्र. २ ] भगवन् ! वह बालवीर्यता से अपक्रमण करता है, अथवा पण्डितवीर्यता से या ॐ बाल-पण्डितवीर्यता से?
[उ.] गौतम ! वह बालवीर्यता से अपक्रमण करता है, पण्डितवीर्यता से नहीं करता; कदाचित् 卐 बाल-पण्डितवीर्यता से अपक्रमण करता है।
[Q. 2] Bhante ! Does he do downward movement with an ignorant's 15 potency (baal-viryata), a pundit's potency (pundit-viryata) or an ignorant ॐ pundit's potency (baal-pundit-viryata)? ____ [Ans.] Gautam ! He endeavours for downward movement
(apakraman) with the help of an ignorant's potency (baal-viryata), and _not with that of a pundit's potency (pundit-viryata) but sometimes with that of an ignorant-pundit's potency (baal-pundit-viryata).
४. जहा उदिण्णेणं दो आलावगा तहा उवसंतेण वि दो आलावगा भाणियव्वा। नवरं उवद्वाएज्जा 卐 पंडितवीरियत्ताए, अवक्कमेज्जा बाल-पंडितवीरियत्ताए।
४. जैसे उदीर्ण (उदय में आये हए) पद के साथ दो आलापक कहे हैं, वैसे ही 'उपशान्त' पद के साथ दो आलापक कहने चाहिए। विशेषता यह है कि यहाँ जीव पण्डितवीर्यता से उपस्थान करता है
और बाल-पण्डितवीर्यता से अपक्रमण करता है। + 4. Like the aforesaid two statements for fruition of karmas, two
statements should be repeated for pacification of karmas. The difference
is that here a being endeavours for upward movement with the help of a 4i pundit's potency and downward movement with the help of ignorant 41
pundit's potency.
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भगवतीसूत्र (१)
(106)
Bhagavati Sutra (1)
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