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________________ (पूर्वभव कथा) कमठ और मरुभूति बहुत प्राचीनकाल की बात है, पोतनपुर में अरविंद नाम का राजा था। राजा का 'पुरोहित था विश्वभूति । विश्वभूति राजनीति और धर्मनीति का विद्वान् था। संतोषी, दयालु और सरल स्वभाव का था। एक दिन संध्या के समय विश्वभूति अपनी गृहवाटिका में बैठा था। आकाश में बादल छाये थे। बादलों के बीच इन्द्रधनुष बना देखा। विश्वभूति बहुत देर तक इन्द्रधनुष के बनते-मिटते रंगों को देखता रहा। सोचने लगा- 'इन्द्रधनुष की तरह ही मनुष्य का जीवन है। हर क्षण इसके रंग बदलते रहते हैं। कभी सुख, कभी दुःख, कभी खुशी, कभी गम ! जीवन कितना अस्थिर है। अगले क्षण क्या होगा कुछ भी पता नहीं ।' क्षमावतार भगवान पार्श्वनाथ फिर वह अपने जीवन के सम्बन्ध में सोचता है- 'मैं वृद्ध हो चुका हूँ। कब तक शासन और गृहस्थी की जिम्मेदारियाँ ढोता रहूँगा। क्यों न इनसे मुक्त होकर एकान्त- शान्त जीवन बिताता हुआ साधना करूँ ।' AVAINT WAA क्षमावतार भगवान पार्श्वनाथ Jain Education International For Private & Personal Use Only 1 www.jainelibrary.org
SR No.002856
Book TitleBhagvana Mahavira Diwakar Chitrakatha 057 058
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJinottamsuri, Shreechand Surana
PublisherDiwakar Prakashan
Publication Year
Total Pages70
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Children, & Story
File Size11 MB
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