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सम्राट सम्प्रति
भगवान महावीर निर्वाण के २६७ वर्ष बाद आर्य सुहस्ती स्वामी ने सुस्थित और सुप्रतिबद्ध नामक दो प्रभावशाली शिष्यों को संघ का भार सौंपकर १०० वर्ष की आयुष्य में अनशन करके देह त्याग दिया। सम्राट् सम्प्रति गहरे दुःख के सागर में
डूब
गये।
ओह ! मेरे गुरु मुझे छोड़कर चले गये।
कहा जाता है, सम्राट् सम्प्रति ने पीतल, ताँबा, चाँदी, सोना आदि पाषाण की लगभग सवा करोड़ जिन प्रतिमाएँ स्थापित करवाईं। नाडोल, शत्रुंजय, गिरनार, रतलाम आदि स्थानों में आज भी सम्प्रति द्वारा स्थापित प्रतिष्ठित् जिन प्रतिमाएँ प्राप्त होती हैं। उन्होंने ६,६०० प्राचीन मन्दिरों का जीर्णोद्धार तथा १,२५,००० नवीन जिन चैत्यों का निर्माण कराकर एक अपूर्व-अद्भुत धर्म प्रभावना की।
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