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कलिकाल सर्वज्ञ : हेमचन्द्राचार्य र चंगदेव को पाठशाला भेजा एक दिन माता के साथ चंगदेव श्री देवचन्द्र सूरि के दर्शन 106761 ? विवेक देखकर गुरुजी प्रसन्न करने गया। वे मन्दिर में भगवान की प्रदक्षिणा कर रहे थे।
[email protected] हा गया बाल
पाहिनी भी खड़ी-खड़ी परमात्मा की स्तुति करने लगी। तभी सेठ तुम्हारा पुत्र एक
शरारती चंगदेव जाकर गुरुदेव के आसन पर बैठ गया। दिन कोई महापुरुष बनेगा। इस छोटी-सी उम्र में ऐसा विवेक और इतना विनय?
गुरुदेव और पाहिनी की नजर उस पर पड़ी तो चंगदेव | खिलखिलाकर हंस पड़ा। आचार्यश्री भी हँसते हुए बोले
बहन ! तुझे अपना स्वप्न याद है? देख, तेरा लाड़ला खुद ही मेरे आसन पर बैठ गया है।
अब इसे हमें सौंप दे।
एक दिन गुरुदेव ने चाचिग सेठ से कहा
सेठ, तुम्हारा पुत्र गुरुदेव, आपकी बहुत भाग्यशाली वाणी सत्य हो।
होगा।
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सेठ, हमारा वचन सत्य करने के लिए तुम्हें भी मोह त्यागना पड़ेगा। वह हीरा है, जौहरी के हाथ में देना होगा। बोलो
गुरुदेव, मैं
पहले चंगदेव से)
भी पुडूंगा।
पाहिनी मौन रही।
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