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कलिकाल सर्वज्ञ : हेमचन्द्राचार्य
राजा ने तत्क्षण हाथ जोड़े
जब तक निर्माण
पूर्ण न हो जाय, (मांस-मदिरा का त्याग
कर दीजिए।
गुरुदेव, बताइए मैं क्या व्रत संकल्प
करूँ?
गुरुदेव ! मुझे दोनों प्रतिज्ञाएँ स्वीकार हैं।
कुछ समय बाद राजा को सूचना मिलीमहाराज ! मन्दिर का निर्माण सम्पन्न हो गया है।
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वाह ! आचार्यश्री की कृपा से एक महान् कार्य सम्पन्न
हो गया।
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