________________
रूपका गर्व काफी देर तक महेन्द्र और अश्व-व्यापारी राजकुमार का यह सुनते ही महेन्द्र तुरन्त नगर से सैनिक लेकर इन्तजार करते रहे। जब राजकुमार शाम तक वापस नहीं| राजकुमार की खोज में चल दिया। आया तो व्यापारी ने चिन्तातुर स्वर में कहा
देिखो, उधर घोड़े के खुटरों के PROPOLI
निशान और झाग पड़े हैं।
वह उसी तरफ गया है। लगता है घोड़ा वक्र शिक्षित था। राजकुमार को कहाँ ले जाकर छोड़ेगा मालूम नहीं?
ArthrillettVAR
सैकड़ों सैनिक उसी दिशा में बढ़ चले। तभी अचानक भयंकर आँधी-तूफान चलने लगा। आकाश कुछ समय बाद वर्षा रुकते ही महेन्द्र सनत्कुमार को खोजने में बिजली कड़कड़ाने लगी और मूसलाधार वर्षा प्रारम्भ हो घने जंगल की ओर चल दिया। उस भयानक जंगल में भटकते गई। सभी पेड़ की ओट में खड़े हो गये
हुए सभी सैनिक महेन्द्र से बिछुड़ गये। वह अकेला ही घोड़े की लगाम पकड़े सनत्कुमार को खोजने के लिये घूमता रहा।
SH (लगता है आज प्रकृति का भयंकर किधर गये होंगे MEIN (कोप हआ है। इस वर्षा और तफान राजकुमार? किस
सनत्कमार। से घोड़े के सब निशान मिट जायेंगे। ओर खोलूँ उन्हें?
सनत्कुमार अब राजकुमार को खोजना और | । अधिक कठिन हो जायेगा।
Pa.00
AaA
//
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org,