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भगवान नेमिनाथ
| उधर नेमिकुमार की बरात लौटती देखकर राजीमती ने सखियों से पूछा
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सखियों ने कहा
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क्या हुआ ? क्या हुआ? बरात क्यों जा रही है ?
राजुल ! सुना है विवाह में पशु-पक्षियों की हिंसा होती जानकर नेमकुमार नाराज होकर लौट गये। अब वे विवाह नहीं करेंगे।
मेरे स्वामी ! मुझे छोड़कर कहाँ चले गये? क्या मैं इतनी अभागिनी, पापिनी हूँ कि आपके लायक भी नहीं हूँ?
कहते-कहते राजीमती मूर्च्छित होकर गिर पड़ी।
सखियों ने शीतल जल छिड़का, हवा की। राजीमती होश में आई। उसने अपना श्रृंगार उतार दिया, आभूषण फेंक दिये, फूलों की मालाएँ तोड़-तोड़कर उछाल दीं। पागल जैसी पुकारती रही
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हैं, तोरण पर आकर वापस चले गये मेरे स्वामी ! मुझे मँझधार में, छोड़ गये।
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