SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 16
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ भगवान नेमिनाथ | श्रीकृष्ण नेमिकुमार की भुजा पकड़कर झूमने लगे परन्तु यह देखकर श्रीकृष्ण चिन्तातुर होकर सोचने लगे। वह पत्थर के खम्भे की तरह सीधी ही तनी रही। यह नेमिकुमार तो आसानी से मेरे राज्य A पर अधिकार कर सकता है। ka तभी आकाश-वाणी हुई नेमिकुमार युवा अवस्था में ही गृह त्यागकर दीक्षा ग्रहण कर लेंगे। आकाशवाणी सुनते ही श्रीकृष्ण की सोच बदली, वे सोचने लगेनेमिकुमार को संसार में रखने का एक ही उपाय है इनका विवाह कर दिया जाय। KOKOKYONO NNA ST एक दिन मौका देखकर श्रीकृष्ण बोले कुमार ! हमारे सभी भाई ! क्या आप पुग्यजनों की इच्छा है मझे कारागार में बंद आपका विवाह उत्सव करें। करना चाहते हैं? पूज्यजनों की इच्छा पूरी करना आपका कर्तव्य है। | श्रीकृष्ण उसे समझाते हुए बोले कुछ दिन तुम भी संसार के सुख भोगो, फिर दीक्षा यादव ले लेना। popp Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002819
Book TitleBhagvana Neminath Diwakar Chitrakatha 020
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPurnachandravijay, Shreechand Surana
PublisherDiwakar Prakashan
Publication Year
Total Pages36
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Children, & Story
File Size20 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy