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________________ एक बात आपसे भी सम्माननीय बन्धु, सादर जय जिनेन्द्र ! जैन साहित्य में संसार की श्रेष्ठ कहानियाँ का अक्षय भण्डार भरा है। नीति, उपदेश, वैराग्य, बुद्धिचातुर्य, वीरता, साहस, मैत्री, सरलता, क्षमाशीलता आदि विषयों पर लिखी गई हजारों सुन्दर, शिक्षाप्रद, रोचक कहानियों में से चुन-चुनकर सरल भाषा-शैली में भावपूर्ण रंगीन चित्रों के माध्यम से प्रस्तुत करने का एक छोटा-सा प्रयास हमने प्रारम्भ किया है। १ इन चित्र कथाओं के माध्यम से आपका मनोरंजन तो होगा ही, साथ ही जैन इतिहास, संस्कृति, धर्म, दर्शन और जैन जीवन मूल्यों से भी आपका सीधा सम्पर्क होगा। है हमें विश्वास है कि इस तरह की चित्रकथायें आप निरन्तर प्राप्त करना चाहेंगे। अतः आप इस पत्र के ६ साथ छपे सदस्यता फार्म पर अपना पूरा नाम, पता साफ-साफ लिखकर भेज दें। आप एकवर्षीय सदस्यता (११ पुस्तकें), दो वर्षीय सदस्य (२२ पुस्तकें), तीन वर्षीय सदस्यता ३ (३३ पुस्तकें), चार वर्षीय सदस्यता (४४ पुस्तकें), पाँच वर्षीय सदस्यता (५५ पुस्तकें) ले सकते हैं। आप पीछे छपा फार्म भरकर भेज दें। फार्म व ड्राफ्ट/M. O. प्राप्त होते ही हम आपको रजिस्ट्री से अब तक छपे अंक तुरन्त भेज देंगे तथा शेष अंक (आपकी सदस्यता के अनुसार) हर माह डाक द्वारा आपको भेजते रहेंगे। धन्यवाद ! od. आपका L LOONLaad नोट-अगर आप पूर्व सदस्य हैं तो हमें अपना सदस्यता क्रमांक लिखें। हम उससे आगे के अंक ही आपको भेजेंगे। श्रीचन्द सुराना 'सरस' सम्पादक दिवाकर चित्रकथा की प्रमुख कड़ियाँ क्षमादान • सती मदनरेखा • मृत्यु पर विजय भगवान ऋषभदेव युवायोगी जम्बू कुमार • आचार्य हेमचन्द्र और सम्राट कुमार पाल 8. णमोकार मंत्र के चमत्कार • मेघकुमार की आत्म-कथा • अहिंसा का चमत्कार . चिन्तामणि पार्श्वनाथ • बिम्बिसार श्रेणिक • महायोगी स्थूल भद्र . भगवान महावीर की बोध कथायें महासती अंजना • अर्जुन माली : दुरात्मा से बना महात्मा . बुद्धि निधान अभय कुमार • चक्रवर्ती सम्राट भरत • पिंजरे का पंछी 3. शान्ति अवतार शान्तिनाथ भगवान मल्लीनाथ • चन्द्रगुप्त और चाणक्य 8. किस्मत का धनी धन्ना ब्रह्मदत्त चक्रवर्ती • भक्तामर की चमत्कारी कहानियाँ E. करुणा निधान भ. महावीर (भाग १, २) . महासती अंजना सुन्दरी महासती सुभद्रा B. राजकुमारी चन्दनबाला विचित्र दुश्मनी • असली खजाना . सिद्ध चक्र का चमत्कार • भगवान अरिष्टनेमि और श्रीकृष्ण • महासती सुलसा BESISESISE Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002815
Book TitleRajkukmar Shrenik Diwakar Chitrakatha 016
Original Sutra AuthorDevebhdra Muni
AuthorShreechand Surana
PublisherDiwakar Prakashan
Publication Year
Total Pages38
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Children, & Story
File Size22 MB
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