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युवायोगी जम्बूकुमार उसी समय मगधपति महाराज कूणिक सेठ ऋषभदत्त के घर पर पहुंचे और जम्बूकुमार का अभिवादन करते हुए बोले
abo कुमार धन्य है आपका वैराग्य ! हम आपके इस कठोर पथ का अनुसरण नहीं कर सकते,
50000 परन्तु हृदय से इसका अनुमोदन अवश्य करते प्रकार
हैं।' मेरे लिए कोई कार्य हो तो... महाराज ! त्याग पथ पर
बढ़ने वालों को आप सहयोग देते रहें यह भी
तो उत्तम कार्य है।
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तभी तस्कर सम्राट प्रभव अपने ५०० साथियों के साथ दीक्षा के लिए तैयार होकर वहाँ आ पहुंचा। उसने जम्बूकुमार को, फिर महाराज कूणिक को नमस्कार किया। कूणिक आश्चर्यपूर्वक प्रभव की ओर देखने लगे। तभी जम्बूकुमार ने कहा
प्रभव !! यहाँ महाराज ! यह है प्रभव ! किसी समय का)
इस रूप में...? तस्कर सम्राट् ! इसने आपके बहुत DDIOSDADARI Ayo
अपराध किये हैं, परन्तु...
कूणिक चौंक कर देखते रहे। प्रभव का नाम सुनते ही सैनिक चौकन्ने हो गये|IM
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