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युवायोगी जम्बूकुमार
जम्बूकुमार ने कहा
इधर प्रातः जम्बूकुमार ने माता-पिता के चरणस्पर्श किये तो माता ने पूछा
पुत्र ! अब तो तेरा वह विचार नहीं रहा न...?
यदि आपका निश्चय पक्का है, तो फिर
अपने माता-पिता को इसकी सूचना दीजिये। उनकी स्वीकृति प्राप्त कर कल हम सब साथ ही प्रव्रजित होंगे...
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माँ, अब तो मैं अकेला नहीं, किन्तु आपकी आठों पुत्र वधुयें भी इसी पथ का
अनुसरण करेंगी...
माता आश्चर्य के साथ देखने लगी।
पिता ने कहा
तब तक राजगृह में घर-घर में यह खबर फैल चु लोग एक दूसरे को बताने लगे
वैराग्य की उम्र तो हमारी है, हमें भी जागना चाहिए... पर हम अब
तक सोये ही रहे।
अभी क्या हुआ है जी ! जब जागे तभी । सबेरा, जब नवविवाहित तरुण पुत्र और पुत्रवधुएँ संसार के भोग त्यागकर संयम मार्ग पर बढ़ रहे हैं, तो हम बुढ़ापे में इस
कीचड़ में क्यों फँसे रहें...
सेठ ऋषभदत्त का इकलौता पुत्र / इससे भी बड़ा आश्चर्य की जम्बूकुमार अपार वैभव का
बात यह है कि उसकी त्याग कर दीक्षा ले रहा है?
आठों नवविवाहिता भी दीक्षा
को तैयार हो गईं हैं... अरे, उनके माता-पिता भी संसार त्यागकर दीक्षा ले रहे हैं..
भासंसा
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