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मेषकुमार की आत्मकथा भगवान ने कहा
मेषकुमार अपने घर पर आया और माता-पिता से
मुनि दीक्षा लेने की अनुमति माँगी। रानी धारिणी ने मेघ ! संयम का पथ तलवार की धार पर चलने
आँसू बहाते हुए कहाजैसा कठिन है। किन्तु दृढ़ संकल्पी और विरक्त
ना बेटा ना ! तू बहुत सुकुमार है, आत्मा के लिए यह फूलों का राजमार्ग भी है।
सुखों में पला है। श्रमण-जीवन के कष्ट तुम्हारी आत्मा को जैसा सुख हो वैसा करो।
तुझसे बर्दाश्त नहीं हो सकेंगे।
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ल्ल्यात मेघकुमार ने कहा
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बड़ा दुष्कर है यह मार्ग 7
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माता, जैसे सोने को निखारने के | लिए अग्नि में तपाना ही पड़ता है, वैसे आत्मा को पवित्र और निर्मल बनाने के लिए संयम-तप की अग्नि में तपना आवश्यक है। संयम व तप के बिना सिद्धि नहीं मिल पाती। मुझे
जन्म-मरण से मुक्त होकर " सिद्भगति-मुक्ति प्राप्त करना है।
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