________________
रामकुमारी चन्दनबाला फिर वह सीधे चंदनबाला के कक्ष में गयी| सेठानी ने कहाऔर कड़े स्वर में उससे बोली
मेरी बात का तू शैतान लड़की। बता तू
साफसाफ उत्तर देती कौन है? तेरे
है या नहीं.... माता-पिता कौन हैं?
माताजी! मैं आपकी माताजी! आज आप कैसे
पुत्री हूँ और आप मेरी प्रश्न कर रही हैं?
माता हैं। मुझ पर
शक न करें।
Replet
सेठानी यह उत्तर सुनकर सन्तुष्ट नहीं हुई।
शक की बात करती है ठगिनि। तूने मेरे पति को ठग लिया।
अपने जाल में फंसा लिया। मैं तुझे खूब पहचान गयी हूँ।।
इतना सुनते ही सेठानी का क्रोध भड़क गया। वह बोली
मैंने अपनी आँखों से मेरे
स्वामी को तेरे बाल सहलाते हुए देखा है। बोल!
क्या यह सच नहीं?
माताजी | सच यह है कि मैं पिताजी के
चरण धो रही थी उस समय मेरे केश खुले थे और बार-बार मुख पर आने से पैर धोने में बाधा आ रही थी। पिताजी ने मेरी परेशानी देख
केश पकड़कर पीछे कर दिये थे। किन्तु सेठानी को उसकी बात पर विश्वास न हुआ।
माताजी! हम पिता पुत्री के पवित्र संबंधों पर कीचड़ न उछालें।
19
Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org