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अगले दिन भगवान ने गौतम को बुलाकर कहा
गौतम, पड़ौस के गाँव में तुम देवशर्मा ब्राह्मण को धर्मबोध देने
के लिए जाओ।
करुणानिधान भगवान महावीर कार्तिक कृष्णा चौदस के दिन दो दिन के उपवास के साथ भगवान ने अपना अन्तिम उपदेश देना प्रारम्भ किया। जो निरन्तर सोलह प्रहर तक चला।
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गौतम भगवान का आदेश पाकर देवशर्मा ब्राह्मण को धर्मबोध देने चले गये।
भगवान ने पुण्य-पाप का फल बताने वाले विपाक सूत्र के पचपन कार्तिक कृष्णा अमावस के दिन संध्याकाल में| अध्ययन एवं उत्तराध्ययन सूत्र के छत्तीस अध्ययनों का सम्पूर्ण भगवान के शरीर से एक अलौकिक ज्योति प्रवचन दिया। जिसे सुनकर अनेक लोगों ने व्रत-नियम ग्रहण किये। निकली एवं अनन्त आकाश में विलीन हो गयी।। समूचे संसार में क्षणभर के लिए अन्धकार छा गया। गौतम ने जब भगवान के निवाण का समाचार
सुना तो वह बालक की तरह विलाप करने लगे।
हे प्रभु / यह क्या किया आपने? L Oजीवन भर अपने चरणों रखा और
अन्तिम समय में दूर भेज दिया। सचमुच आपको किसी से मोह
नहीं किसी से प्रीति नहीं..
जीवन
समय में
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