________________
करुणानिधान भगवान महावीर पूर्व दिशा की ओर मुख करके अपने केशों का फिर सिद्ध भगवान को नमस्कार करके धीर-गंभीर पंचमुष्ठि ढुंचन किया।
स्वर में प्रतिज्ञा की।
मैं जीवन भर समभाव की साधना स्वीकार करता हूँ। सभी पापकारी प्रवृत्तियों का त्याग करता हूँ।
Man
MAV
JE0
।
स्वयं इन्द्र ने केशों को रत्न पात्र में ग्रहण किया।
और दो दिन के निर्जल उपवास के साथ, कठोर संयम व्रत का संकल्प ग्रहण करके महाश्रमण, अपनी मस्ती से मस्त बिना रुके बिना पीछे मुडे सीधे कंकरीले, पथरीले पथ पर वन की ओर चल दिये।
RAMMAS
MIMA
VA
PERS
ArwatsANG
LEOAN
REALING
(GASTRajaran
उनके गौर स्कन्ध पर इन्द्र द्वारा प्रदत्त एक हिम-सा श्वेत उज्वल देवदूष्य वस्त्र लहरा रहा था।
करेमि सामाइयं स सावनं जोगं पच्चक्खामिं " 34 Fucatiotinternational
For Private & Personal Use Only
www.ainelibre