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करुणानिधान भगवान महावीर दो वर्ष पूरे होने के पश्चात् मार्गशीर्ष कृष्णा दशमी के दिन वर्धमान कुमार ने चन्द्रप्रभा नामक शिविका में बैठकर दीक्षा। के लिये प्रस्थान किया। सौधर्मेन्द्र आदि असंख्य देवी-देवता एवं हजारों नर-नारी इस विशाल जुलूस में शामिल था।
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विशाल जुलूस नगर से बाहर स्थित ज्ञातखण्ड उद्यान में पहुंचा, अशोक वृक्ष के समीप पालकी रखी गयी। एक-एक करके वर्धमान ने अपने सभी बहुमूल्य आभूषण और वस्त्र उतार दिये।
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