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________________ बुद्धि निधान अभय कुमार सुलस ने चारों ओर देखा और खड्ग का प्रहार अपनी जंघा पर किया। जंघा से रक्त का फुव्वारा छूट पड़ा। सुलस ने व्यंगपूर्ण स्वर में कहा ओह ! बहुत दर्द हो रहा है। आप सब लोग मेरा दर्द बाँटों । 5000cacco DODACIDOL Jain Education International हम तुम्हारा दर्द कैसे बाँट सकते हैं? जख्म तुम्हें हुआ है तो दर्द भी तुम्हें ही भोगना होगा। तब तक अभय को इस घटना की सूचना मिल चुकी थी वह आया। उसने सुलस के घाव पर मलहम पट्टी की और बोला वाह ! एक क्षण में ही बदल गये ? अभी तो साथ में दर्द बाँटने का विश्वास दिला रहे थे। अब मैं तुम लोगों की बातों में आकर हिंसा नहीं करूँगा। मित्र ! वास्तव में तुम्हारे अन्दर अंहिसा के मार्ग पर चलने का साहस है। इस घटना के बाद सुलस ने अभय के कहने पर श्रावक धर्म ग्रहण कर लिया। अभय ने अपनी बुद्धि से एक कसाई के पुत्र को अहिंसक बना दिया। 32 For Private & Personal Use Only समाप्त www.jainelibrary.org
SR No.002806
Book TitleBuddhinidhan Abhaykumar Diwakar Chitrakatha 006
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGaneshmuni, Shreechand Surana
PublisherDiwakar Prakashan
Publication Year
Total Pages36
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Children, & Story
File Size21 MB
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