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बुद्धि निधान अभय कुमार
राजा श्रेणिक और नन्दा का पुत्र अभयकुमार पाठशाला में आचार्यों की प्रशंसा का पात्र होने के कारण सहपाठी उससे ईर्ष्या करने लगे थे। उसे नीचा दिखाने के लिए "बिना बाप का बेटा" कहकर चिड़ाना प्रारम्भ कर दिया। इस अपमान से तिलमिलाया हुआ अभय उदास होकर घर में बैठा था तभी उसकी माता नन्दा ने
'पूछा
राख
21000
यह सुनकर नन्दा एकदम तड़फ उठी ।
कौन कहता है, तू बिना प का बेटा है? तेरे पिता महान हैं। स्वयं वेणातट नरेश भी उनका सम्मान करते थे।
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पर माँ! मैंने तो पिताजी को कभी नहीं देखा।
बेटा ! आज इतना उदास क्यों बैठा
है ? क्या बात है?
माँ ! पाठशाला में मेरे सहपाठी मुझे बिना बाप का बेटा कहकर चिड़ाते हैं।
जब तू गर्भ में था, अचानक खबर मिली कि उनके पिता मृत्यु शैय्या पर पड़े हैं। वह तुरन्त अपने पिता से मिलने चले गये। गर्भवती होने के कारण मैं उनके साथ नहीं जा सकी।
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माँ ! पिताजी का नाम क्या है? वह
कहाँ के निवासी हैं?
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