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बुद्रि निधान अभय कुमार
अगले दिन अभय ने उस मांतग को पकड़कर महल बुलवा लिया और फटकारा। मातंग अभय को। वहाँ देखकर पहचान गया और घबराहट में उसने अपना अपराध कबूल कर लिया।
मापा तुमने ही बगीचे में|
महामंत्री जी ! मुझे क्षमा करें। मैंने से आम चुराये हैं। अपनी गर्भवती पत्नी की इच्छा पूर्ण करने सच सच बताओ?
के लिये आम चुराये थे। मैं चोर नहीं हूँ।।
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अभय ने उससे पूछा
मैंने आकर्षणी विद्या द्वारा फलों की डाल
को अपनी तरफ आकर्षित कर लिया और , उस पर से आम तोड लिये छ
तुमने इतने कड़े पहरे में से आम | कैसे चुराये?
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अभय ने मातंग को महाराज श्रेणिक के सामने प्रस्तुत किया। श्रेणिक ने चोर को देखते ही मृत्यु दण्ड की सजा सुना दी। अभय ने श्रेणिक को सुझाव दिया।
महाराज ! मेरी सलाह है कि
आप पहले इस मातंग से दुर्लभ विद्या सीख लें फिर
इसे दण्ड दें। JOID
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