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________________ बुद्धि निधान अभय कुमार रात के समय अभय मातंग बस्ती के चौराहे पर पहुँचा। वहाँ बस्ती के लोग एकत्रित होकर किस्से कहानी सुनाकर मनोरंजन कर रहे थे। अभय उनके बीच बैठ गया। एक बूढ़े व्यक्ति ने उसे बैठा देखा तो चौंककर पूछा जरूर। जरूर/ भाई तुम कौन हो? यहाँ क्या कर रहे हो? बूढे से आज्ञा लेकर अभय कहानी सुनाने लगा। बसन्तपुर नगर में एक कन्या राजा के बगीचे से प्रतिदिन पूजा के लिये फूल तोड़कर ले जाती थी। एक दिन माली ने उसे फूल तोड़ते पकड़ लिया। Jain Education International फूलों की चोरी करती है। चल मैं तुझे कारागार की हवा खिलाऊँगा। उसकी सुन्दरता को देखकर माली के मन में विकार आ गया। वह अगर तू मेरी इच्छा पूरी कर दे तो मैं तुझे छोड़ दूँगा। मैं एक परदेशी हूँ। रात बिताने के लिए आपकी संगत में आकर बैठ गया हूँ। अगर आप आज्ञा तो मैं भी एक किस्सा सुना दूँ। 22 For Private & Personal Use Only आगे से नहीं तोडूंगी इस बार मुझे छोड़ दीजिए। बोला अगर www.jainelibrary.arg
SR No.002806
Book TitleBuddhinidhan Abhaykumar Diwakar Chitrakatha 006
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGaneshmuni, Shreechand Surana
PublisherDiwakar Prakashan
Publication Year
Total Pages36
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Children, & Story
File Size21 MB
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