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बुद्धि निधान अभय कुमार
रात के समय अभय मातंग बस्ती के चौराहे पर पहुँचा। वहाँ बस्ती के लोग एकत्रित होकर किस्से कहानी सुनाकर मनोरंजन कर रहे थे। अभय उनके बीच बैठ गया। एक बूढ़े व्यक्ति ने उसे बैठा देखा तो चौंककर पूछा
जरूर। जरूर/
भाई तुम कौन हो? यहाँ क्या कर रहे हो?
बूढे से आज्ञा लेकर अभय कहानी सुनाने लगा।
बसन्तपुर नगर में एक कन्या राजा के बगीचे से प्रतिदिन पूजा के लिये फूल तोड़कर ले जाती थी। एक दिन माली ने उसे फूल तोड़ते पकड़ लिया।
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फूलों की चोरी करती है। चल मैं तुझे कारागार की हवा खिलाऊँगा।
उसकी सुन्दरता को देखकर माली के मन में विकार आ गया। वह
अगर तू मेरी इच्छा पूरी कर दे तो मैं तुझे छोड़ दूँगा।
मैं एक परदेशी हूँ। रात बिताने के लिए आपकी संगत में आकर बैठ गया हूँ। अगर आप आज्ञा तो मैं भी एक किस्सा सुना दूँ।
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आगे से नहीं तोडूंगी इस बार मुझे छोड़ दीजिए।
बोला
अगर
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