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प्रलोभन का मायाजाल।
चंपा नगरी में माकंदी नामक सार्थवा रहता था। उसके जिनपाल और मिनरक्षित नाम के बड़े ही साहसी और चतुर दो पुत्र थे। उन्होंने व्यापार के लिये ग्यारह बार साहसिक समुद्र यात्रायें करके अपार धन कमाया। अब वे अपनी बारहवीं समुद्र यात्रा की तैयारी कर रहे थे। माता-पिता ने उन्हें समझाया
पुत्रों, तुमने इतना धन कमाया है। उसका यहीं रहकर सुख से भोग करो। अब ज्यादा धन कमाने की लालसा में इतनी जोखिम
भी समुद्र यात्रायें नहीं
करनी चाहिये।
परन्तु धन कमाने की असीम लालसा में फँसे दोनों साहसी भाईयों ने माता-पिता की बात की परवाह नहीं की और अपनी समुद्र यात्रा पर चल पड़े/
A A7जिन रक्षित भाई, हम इस बार लवण समुद्र की तरफ चलेंगे। वहाँ से इतने हीरेजवाहरात भरकर लायेंगे कि सात पीढ़ियों तक कमाने की जरूरत नही पड़ेगी।
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