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भगवान महावीर की बोध कथाएँ इस तरह अपनी योग्यता अनुसार कार्य पाकर बहुयें, घर को कुशलता पूर्वक चलाने लगी, और सब मिल जुलकर आनन्द पूर्वक रहने लगे।
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कथा सुनाकर भगवान महावीर अपने शिष्यों को उसका मर्म समझाते हैं।
MH श्रोताओ ! जो मनुष्य अपने कार्य और ।
जिम्मेदारियों को ठीक तरह से समझ कर उन्हें योग्यता पूर्वक निभाता है,अपने व्रत नियमों का यथोचित संरक्षण एवं विकास करता है। उसे संसार में सफलताऔर सम्मान प्राप्त होता है।
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समाप्त
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ज्ञाता धर्म कथा सुत्र अध्याय
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