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चिंतामणि पार्श्वनाथ क्षुब्ध कमठ पहाड़ी से कूदकर आत्महत्या करना कुछ समय बाद मरुभूति का क्रोध शांत चाहता था, परन्तु फिर वह रुक गया और उसी हुआ तो उसे अपने भाई के साथ किये पहाड़ी पर संन्यासी बनकर तपस्या करने लगा। व्यवहार पर पश्चात्ताप होने लगा। CATNT
मैंने अपने घर की बात राजा से कहकर (अच्छा नहीं किया। मेरे पिता समान भाई
- को कितना दुःख हुआ होगा?
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सरल हदय मरुभूति भाई से क्षमा मांगने के लिए उसे जंगल में खोजने लगा। एक पहाड़ी पर कमठ को तप करते देख उसके पास जाकर चरणों में झुककर क्षमा मांगने लगा। (भैया ! मुझे क्षमा कर देना। मरुभूति को देखते ही कमठ बदले
की भावना से तिलमिला उठा।
उसने पास पड़े एक बड़े पत्थर को उठाकर पूरे वेग से मरुभूति के सिर पर पटका।
ले तेरी यही
सजा है।
इसी दुष्ट के कारण मुझे इतना घोर
अपमान सहना पड़ा।
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