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________________ भगवान ऋषभदेव इधर अयोध्या नगरी में ऋषभदेव की माता मलदेवा अपने पुत्र के समाचार नहीं मिलने से व्याकुल हो रही थी, उन्होंने अपने पौत्र भरत से कहा MPMह भरत ! मेरे पुत्र ऋषभ को गृहत्याग किये पूरे 9000 वर्ष हो गये, वह किस हाल में CG है मुझे उसके समाचार लाकर दो। १ VAVAV NINA सम्राट भरत ने ऋषभदेव के समाचार लाने चारों ओर दूत भेजे। कई दिन तक कोई समाचार नहीं मिला अचानक एक दिन तीन दूत राज सभा में आये। महाराज समाचार मिला है कि- पुत्र एवं चक्र रत्न की प्राप्ति से भी महत्व(बधाइ हा महाराज महाराजा "परिमताल नगर के बाहर वट वृक्ष के पूर्ण है भगवान की वन्दना, इसलिए हम ने अभी-अभा पुत्र रत्न का नीचे भगवान ऋषभदेव को केवल ज्ञान सबसे पहले भगवान का केवल ज्ञान जन्म दिया है। की प्राप्ति हुई है।" महोत्सव मनाना चाहिये। चक्रवर्ती सम्राट की जय हो,' आयुधशाला में चक्र रत्न प्रकट हुआ। DIYA Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002802
Book TitleBhagvana Rushabhdev Diwakar Chitrakatha 002
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSubhadramuni, Shreechand Surana
PublisherDiwakar Prakashan
Publication Year
Total Pages38
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Children, & Story
File Size22 MB
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