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भगवान ऋषभदेव श्रेयांस के हृदय में भक्ति का वेग उमड़ पड़ा, वह महल से नीचे उतरा और प्रभु की वंदना करके इक्षु रस ग्रहण करने की विनती की
PR प्रभु! यह शुद्ध निर्दोष इक्षु रस ग्रहण करके
मेरा कल्याण कीजिए।"
श्रेयांस कुमार की विनती स्वीकारते हुए ऋषभदेव ने इक्षु रस ग्रहण किया। यह पवित्र दिन था, वैशाख शुक्ला तृतीयाँ का। इस दिन भगवान ऋषभदेव ने इक्षु रस से वर्षी तप का पारणों किया। इसलिये जैन| परम्परा में यह दिन अक्षय तृतीया के नाम से प्रसिद्ध हुआ।
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*इसी दिन की स्मृति में आज भी लाखों जैन वर्षी तप (एक वर्ष तक एक दिन भोजन एक दिन उपवास) करते । #उपवास के बाद आहार ग्रहण करना।
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