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क्षमादान इस घटना के बाद राजा उदायन की जिन्दगी में समय आने पर महारानी ने एक पुत्र को जन्म एकदम परिवर्तन आ गया। वह भी भगवान दिया। उसका नाम अभीचिकुमार रखा गया। महावीर के बताये सत्य, अहिंसा, क्षमा के सिद्धान्तों पर चलने लगे। उन्होंने जैन धर्म के बारह व्रतों को स्वीकार कर लिया और उसका पालन करने लगे।
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जब राजकुमार बड़ा हुआ तो राजा ने उसे योग्य राजकुमार बड़ा ही मेधावी था। वह जल्दी ही गुरु के संरक्षण में भेजकर अस्त्र-शस्त्र चलाने की |अस्त्र-शस्त्र आदि विद्याओं में पारंगत हो गया। उचित शिक्षा का प्रबन्ध कराया।
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इस तरह अपने मेधावी पुत्र और धर्मशील रानी के साथ राजा का जीवन सुखपूर्वक व्यतीत हो रहा था।
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