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क्षमादान उस रात राजा उदायन के आदेशानुसार मन्दिर के प्रांगण में पशुओं को बन्द कर दिया गया। और चारों ओर कडा पहरा लगा दिया गया।
अगले दिन प्रातः मन्दिर के दरवाजे के सामने बहुत भीड़ इकट्ठी हो गई। लोग तरह-तरह की अटकलें लगाने लगे परन्तु जब दरवाजा खोला गया तो मन्दिर के प्रांगण में सब पशु जीवित अवस्था में विचर रहे थे। यह देखकर लोग अचम्भित हो गये।
(आश्चर्य ! सभी पशु
जीवित हैं।
शायद माँ हमसे नाराज हैं। इसलिये बलि स्वीकार नहीं की।
और खुश हाल भी है...?
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