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उज्जयिनी से कुछ दूर आकर उदायन ने सेना का पड़ाव डाला और सेनापति को बुलाकर कहा
हम वर्षा ऋतु के दो मास यहीं पड़ाव डालेंगे उसके पश्चात् आगे प्रस्थान करेंगे।
जो आज्ञा महाराज ।
उदायन के आदेशानुसार रसोईया चण्डप्रद्योत के पास पहुँचा।
आज आप क्या
भोजन करेंगे?
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क्षमादान
एक दिन प्रातः काल राजा उदायन ने अपने रसोईये को बुलाया।
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क्यों आज क्या विशेष बात है जो हमें भोजन के लिए जा रहा है?
पूछा
"आज संवत्सरी-भादवा सुदी पंचमी का दिन 'है हम उपवास करेंगे। हमारे लिए भोजन नहीं बनेगा अतः तुम राजा प्रद्योत से पूछ लेना जैसा भोजन लेना चाहे उनके लिए बनाकर उनको ठीक से खिला देना।
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आज संवत्सरी पर्व है। महाराज उदायन का आज उपवास है। वे पौषधशाला में पर्वाराधना करेंगे। अतः आज केवल आपका ही भोजन बनेगा।
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