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क्षमादान
उन दिनों उज्जयिनी भारत का बहुत बड़ा व्यापारिक एक बार सिंध के कुछ व्यापारी व्यापार करने केन्द्र था वहाँ का शासक चण्डप्रद्योत था। अपने | उन्मयिनी आये।वे शिप्रा नदी के तट पर आराम कठोर व गर्वीले स्वभाव के कारण वह पूरे भारत करने के लिये एक बगीचे में रुके। वहाँ पर में प्रसिद्ध था। सुन्दर स्त्री और अद्भुत वस्तुयें उज्जयिनी के व्यापारियों से उनकी भेंट हुई। उसकी कमजोरी थीं।
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हम सिंध से आपके
देश में व्यापार करने आये हैं।
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उज्जयिनी में आपका स्वगात है।
वे आपस में बातें करने लगे।
हमने सुना है आपके महाराज के पास कुछ अद्भुत वस्तुएँ हैं।
हाँ, हमारे राजा के अच्छा, कृपया हमें पास चार दिव्य || उनके बारे में विस्तार वस्तुएँ हैं।
से बतायें।
सबसे पहली दिव्य वस्तु है महारानी शिवादेवी।
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उम्मयिनी का व्यापारी उनको महारानी शिवादेवी के बारे में बताने लगा।
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