________________
INTRODUCTION
जायति मुणालसीयलमंगमकम्हा सउण्हमवि जस्स। . जमरायरायहाणी पंथपयट्टो लहुं सो वि ॥ १८७ ॥
जूया व मच्छिया वा निरंतरं जं भवंति पच्छा व। उवसप्पंति(ते) तं कालकवलियं कुसल कलसु लहुं ॥ १९० ॥ विजं पुरंदरधणुं धणियममेहे वि नहयले नयइ । सुणइ य गजियसई जो सो लहु जमपुरपवेसी ॥ १९ ॥
विध्छाए पेच्छंतो रवि-ससि-तारगाणं जियइ वरिसं । मह सम्वहा न पेच्छति अच्छइ छम्मासमेव जइ ॥ १९३ ॥ तह रवि-ससिबिंबाणं भूपडणं पास(से)इ अकम्हा । जो निस्संसयं वियाणसु बारस दिवसाणि तस्साउ ॥ १९४ ॥ जो पुण दो रविविबे पासइ नासइ स मासतियगेणं । रविबिंबमंतरिच्छे पेच्छति भमिरं अह लहुं ता ॥ १९५॥
X
जियह तिदिणं स सव्वं पासति पीयं पयत्थसत्थं जो। जस्स य कसिणं भिन्नं हवति पुरीसं स लहुमरणो ॥ १९८॥ बचक्खुलक्खा निरक्खमाणो वि नयतियं नियइ । भमुयाण जुयं जो सो नवदिवसभंतरे मरइ ॥ १९९ ॥
सुक्किलपक्खं दक्षिणपाणि परिकप्पिङ कमेण पुणो । हिटिम-मज्झिम-उवरिमपन्वाणि कणिट्टियाए य ॥ २०८ ॥ पडिवय-छट्टि-क्कारसि तिहीओं परिकप्पिओ पयाहिणओ। सेसंगुलिपम्वेसु तु भेसविहीओ (सेसतिहीओ) वियप्पेजा ॥ २०९ ॥ पंचमि दसमि(मी) पुन्निम तिहीओं ता जाव ठविय अंगुटे। एवं वामकरे पुण परिकप्पिय कसिणपक्खकमं ॥ २१०॥ ता जाव तदंगुढे उवरिमपव्वे अमावसाईए । एवं तीस तिहीओ परिकप्पित्ता जहाभणियं ॥ २११ ॥ तत्तो विचि(वि)त्तदेसे निबद्धपउमासणो महासत्तो। बद्धकरकमलकोसो पसन्नथिरमण-वई-काओ ॥ २१२॥ झाएजा(ज) कसिणवनं सुत्तं(मं) करकमलकोसमझगयं । सियवस्थछाइयप्पा सुवट्टलक्खो तहिं चेव ॥ २१३ ॥ उग्घाडिय करकमलं पलोह जीए कीऍ वि दिट्टीए। दीसति स कालबिंदू सो कालो नत्थि संदेहो ॥ २१४ ॥
दंता वि जस्स सहसा सुपुफिया सकराउला लुक्खा । सामा वा होति तमंतगंतिगं पत्थियं जाण ।। २१९ ॥
जीहा वि जस्स सामा सुक्का सूणा पमाणो अहिगा। हीणा वा बट्टा वा सरणं मरणं खु तस्सावि ॥ २२१ ॥
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org